अश्क Hindi Shayari

  • पलको के किनारे हमने भिगोए ही नहीं;
    वो सोचते है हम रोए ही नहीं;
    वो पूछते है ख्वाब में किसे देखते हो;
    हम है कि एक उम्र से सोए ही नहीं।
  • और ज्यादा भड़काते हो तुम तो आग मोहब्बत की;
    सोजिश-ए-दिल को ऐ अश्को, क्या ख़ाक बुझाना सीखे हो।
    ~ Bahadur Shah Zafar
  • क्या मिला प्यार में अपनी ज़िंदगी के लिए;<br/>
रोज़ आँसू ही पिए हैं मैंने किसी के लिए;<br/>
वो गैरों में खुशियां मनाते रहे;<br/>
और हमे अपनी ही हँसी के लिए तड़पाते रहे।Upload to Facebook
    क्या मिला प्यार में अपनी ज़िंदगी के लिए;
    रोज़ आँसू ही पिए हैं मैंने किसी के लिए;
    वो गैरों में खुशियां मनाते रहे;
    और हमे अपनी ही हँसी के लिए तड़पाते रहे।
  • कौन रोकेगा अब इन बहती हुई आँखों को;<br/>
क्योंकि रुलाना तो पुरानी आदत है ज़माने की;<br/>
एक ही शख्स था जो थाम लेता था हमको;<br/>
पर अब उसे भी आदत हो गयी है आज़माने की।Upload to Facebook
    कौन रोकेगा अब इन बहती हुई आँखों को;
    क्योंकि रुलाना तो पुरानी आदत है ज़माने की;
    एक ही शख्स था जो थाम लेता था हमको;
    पर अब उसे भी आदत हो गयी है आज़माने की।
  • कभी उसको हमारी यादों ने सताया होगा;
    चेहरा हमारा आँखों से आँसुओं ने मिटाया होगा;
    ग़म ये नहीं कि वो भूल गए होंगे हमको;
    ग़म ये है कि बहुत रो-रो कर भुलाया होगा।
  • माना कि प्यार किसी का मेरे पास नहीं;
    मगर तुम्हें मेरी मोहबबत का एहसास नहीं;
    जाने पी गए हम कितने ग़म-ए-आंसू;
    अब कुछ और पाने की प्यास नहीं।
  • मोहब्बत के भी कुछ अंदाज़ होते हैं;<br/>
जागती आँखों के भी कुछ ख्वाब होते हैं;<br/>
जरुरी नहीं कि गम में ही आँसू निकलें;<br/>
मुस्कुराती आँखों में भी सैलाब होते हैं।Upload to Facebook
    मोहब्बत के भी कुछ अंदाज़ होते हैं;
    जागती आँखों के भी कुछ ख्वाब होते हैं;
    जरुरी नहीं कि गम में ही आँसू निकलें;
    मुस्कुराती आँखों में भी सैलाब होते हैं।
  • इस दिल ने अब प्यार करना छोड़ दिया;<br/>
जिस दिन से तुमने ये दिल तोड़ दिया;<br/>
अब तो रो भी नहीं सकते अपनी बेबसी पे;<br/>
इस लिए इन आँखों ने अब रोना भी छोड़ दिया।Upload to Facebook
    इस दिल ने अब प्यार करना छोड़ दिया;
    जिस दिन से तुमने ये दिल तोड़ दिया;
    अब तो रो भी नहीं सकते अपनी बेबसी पे;
    इस लिए इन आँखों ने अब रोना भी छोड़ दिया।
  • जान-ए-तनहा पे गुज़र जायें हज़ारों सदमें;
    आँख से अश्क रवाँ हों ये ज़रूरी तो नहीं।
    ~ Sahir Ludhianvi
  • इन को 'नासिर' न कभी आँख से गिरने देना;
    उन को लगते हैं मेरी आँख में प्यारे आँसू।
    ~ Nasir Kazmi