जादू है या तिलिस्म तुम्हारी ज़बान में; तुम झूठ कह रहे थे मुझे ऐतबार था! |
स्वयं से दूर हो तुम भी, स्वयं से दूर हैं हम भी, बहुत मशहूर हो तुम भी, बहुत मशहूर हैं हम भी; बड़े मगरूर हो तुम भी, बड़े मगरूर हैं हम भी, अत: मज़बूर हो तुम भी, अत: मज़बूर हैं हम भी! |
सैर-ए-साहिल कर चुके ऐ मौज-ए-साहिल सिर ना मार; तुझ से क्या बहलेंगे तूफानों के बहलाए हुए! |
अब वो मिलते भी हैं तो यूँ कि कभी; गोया हमसे कुछ वास्ता न था! |
ऐ क़लम बस इतना सा एहसान कर दे; जो मेरी ज़ुबाँ से न निकला वो बयाँ कर दे। |
उम्र में, ओहदे में, कौन कितना बड़ा है फर्क नहीं पड़ता; लहजे में कौन कितना झुकता है फर्क ये पड़ता है। |
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती; बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती। |
अरबाबे-सितम की खिदमत में इतनी ही गुजारिश है मेरी; दुनिया से कयामत दूर सही, दुनिया की कयामत दूर नहीं। Meaning: अरबाबे-सितम = सितम ढाने वाला |
दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं; लोग अब मुझ को तेरे नाम से पहचानते हैं। |
दिल ना-उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है; लंबी है गम की शाम, मगर शाम ही तो है। |