क़ासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ; मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में! |
आईनों को ज़ंग लगा; अब मैं कैसा लगता हूँ! |
हम को किस के गम ने मारा ये कहानी फिर सही; किस ने तोडा ये दिल हमारा ये कहानी फिर सही! |
वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले; मगर अपने अपने मक़ाम पर कभी तुम नहीं कभी हम नहीं! |
एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक; जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा! |
ईद का दिन है, गले आज तो मिल ले ज़ालिम; रस्म-ए-दुनिया भी है, मौक़ा भी है, दस्तूर भी है। |
हसरतों का हो गया है इस क़दर दिल में हुजूम; साँस रस्ता ढूँढती है आने जाने के लिए! |
चल साथ कि हसरत दिल-ए-मरहूम से निकले, आशिक़ का जनाज़ा है, ज़रा धूम से निकले। |
न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा; हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा! |
मैं उस के बदन की मुक़द्दस किताब; निहायत अक़ीदत से पढ़ता रहा! *मुक़द्दस: पवित्र *अक़ीदत: श्रद्धा |