Hindi Shayari

  • साहिल के सुकून से किसे इनकार है लेकिन;</br>
तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है!</br>
*साहिल: किनाराUpload to Facebook
    साहिल के सुकून से किसे इनकार है लेकिन;
    तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है!
    *साहिल: किनारा
    ~ Aale Ahmad Suroor
  • अब जो एक हसरत-ए-जवानी है;</br>
उम्र-ए-रफ़्ता की ये निशानी है!Upload to Facebook
    अब जो एक हसरत-ए-जवानी है;
    उम्र-ए-रफ़्ता की ये निशानी है!
    ~ Mir Taqi Mir
  • दिन रात मय-कदे में गुज़रती थी ज़िंदगी;</br>
'अख़्तर' वो बे-ख़ुदी के ज़माने किधर गए!</br>
*मय-कदे: शराबख़ानाUpload to Facebook
    दिन रात मय-कदे में गुज़रती थी ज़िंदगी;
    'अख़्तर' वो बे-ख़ुदी के ज़माने किधर गए!
    *मय-कदे: शराबख़ाना
    ~ Akhtar Sheerani
  • यूँ लगे दोस्त तेरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना;</br>
जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना!Upload to Facebook
    यूँ लगे दोस्त तेरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना;
    जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना!
    ~ Qateel Shifai
  • भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया;</br>
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं।Upload to Facebook
    भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया;
    ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं।
    ~ Lala Madhav Ram Jauhar
  • आसमाँ एक सुलगता हुआ सहरा है जहाँ;</br>
ढूँढता फिरता है ख़ुद अपना ही साया सूरज!</br>
*सहरा: रेगिस्तानUpload to Facebook
    आसमाँ एक सुलगता हुआ सहरा है जहाँ;
    ढूँढता फिरता है ख़ुद अपना ही साया सूरज!
    *सहरा: रेगिस्तान
    ~ Azad Gulati
  • ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है;</br>
वही होता है जो मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है।Upload to Facebook
    ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है;
    वही होता है जो मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है।
    ~ Mirza Raza Barq
  • अजब तेरी है ऐ महबूब सूरत;
नज़र से गिर गए सब ख़ूबसूरत!
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    अजब तेरी है ऐ महबूब सूरत; नज़र से गिर गए सब ख़ूबसूरत!
    ~ Aatish Haidar Ali
  • उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था;
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला!
*रुख़्सत:बिछड़नाUpload to Facebook
    उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था; सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला! *रुख़्सत:बिछड़ना
    ~ Nida Fazli
  • चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का;
सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही!Upload to Facebook
    चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का; सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही!
    ~ Ahmad Faraz