Hindi Shayari

  • हयात ले के चलो क़ायनात ले के चलो;</br>
चलो तो सारे ज़माने को साथ ले के चलो!Upload to Facebook
    हयात ले के चलो क़ायनात ले के चलो;
    चलो तो सारे ज़माने को साथ ले के चलो!
    ~ Makhdoom Mohiuddin
  • कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद;</br>
याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद!Upload to Facebook
    कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद;
    याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद!
    ~ Ameer Minai
  • तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो;</br>
चाहा था तुम्हें एक यही इल्ज़ाम बहुत है!Upload to Facebook
    तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो;
    चाहा था तुम्हें एक यही इल्ज़ाम बहुत है!
    ~ Sahir Ludhianvi
  • नयी सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है;</br>
ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे!Upload to Facebook
    नयी सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है;
    ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे!
    ~ Shakeel Badayuni
  • कब वो सुनता है कहानी मेरी;</br>
और फिर वो भी ज़बानी मेरी!Upload to Facebook
    कब वो सुनता है कहानी मेरी;
    और फिर वो भी ज़बानी मेरी!
    ~ Mirza Ghalib
  • और कुछ तोहफ़ा न था जो लाते हम तेरे नियाज़;</br>
एक दो आँसू थे आँखों में सो भर लाएँ हैं हम!</br>
*नियाज़ : इच्छा, दर्शनUpload to Facebook
    और कुछ तोहफ़ा न था जो लाते हम तेरे नियाज़;
    एक दो आँसू थे आँखों में सो भर लाएँ हैं हम!
    *नियाज़ : इच्छा, दर्शन
  • इजाज़त हो तो मैं तस्दीक़ कर लूँ तेरी ज़ुल्फ़ों से;</br>
सुना है ज़िंदगी इक ख़ूबसूरत दाम है साक़ी!</br>
*तस्दीक़: सच्चे होने की ताईद करना, सच्चा बतानाUpload to Facebook
    इजाज़त हो तो मैं तस्दीक़ कर लूँ तेरी ज़ुल्फ़ों से;
    सुना है ज़िंदगी इक ख़ूबसूरत दाम है साक़ी!
    *तस्दीक़: सच्चे होने की ताईद करना, सच्चा बताना
    ~ Abdul Hameed Adam
  • वो क्या मंज़िल जहाँ से रास्ते आगे निकल जाएँ;</br>
सो अब फिर एक सफ़र का सिलसिला करना पड़ेगा!Upload to Facebook
    वो क्या मंज़िल जहाँ से रास्ते आगे निकल जाएँ;
    सो अब फिर एक सफ़र का सिलसिला करना पड़ेगा!
    ~ Iftikhar Arif
  • दर्द का ज़ायका बताऊँ क्या;</br>
ये इलाक़ा ज़ुबाँ से बाहर है!Upload to Facebook
    दर्द का ज़ायका बताऊँ क्या;
    ये इलाक़ा ज़ुबाँ से बाहर है!
    ~ Khursheed Akbar
  • उस ना-ख़ुदा के ज़ुल्म ओ सितम हाए क्या करूँ;</br>
कश्ती मेरी डुबोई है साहिल के आस-पास!</br>
*साहिल: किनाराUpload to Facebook
    उस ना-ख़ुदा के ज़ुल्म ओ सितम हाए क्या करूँ;
    कश्ती मेरी डुबोई है साहिल के आस-पास!
    *साहिल: किनारा
    ~ Hasrat Mohani