इस तअल्लुक़ को तू रस्ते की रुकावट न समझ; अब किसी और का होना है तो चल जा हो जा! |
उस की सूरत का तसव्वुर दिल में जब लाते हैं हम; ख़ुद-ब-ख़ुद अपने से हमदम आप घबराते हैं हम! |
तुम अज़ीज़ और तुम्हारा ग़म भी अज़ीज़; किस से किस का गिला करे कोई! |
ख़ुदा उसे भी किसी दिन ज़वाल देता है; ज़माना जिस के हुनर की मिसाल देता है! * ज़वाल - पतन |
जब मोहब्बत का किसी शय पे असर हो जाए; एक वीरान मकाँ बोलता घर हो जाए! |
दौर काग़जी था पर देर तक ख़तों में जज़्बात महफ़ूज़ रहते थे; अब मशीनी दौर है उम्र भर की यादें ऊँगली से ही डिलीट हो जाती हैं। |
जो चाहते हो सो कहते हो चुप रहने की लज़्ज़त क्या जानो; ये राज़-ए-मोहब्बत है प्यारे तुम राज़-ए-मोहब्बत क्या जानो! |
धूप बढ़ते ही जुदा हो जाएगा; साया-ए-दीवार भी दीवार से! |
अभी कुछ दिन मुझे इस शहर में आवारा रहना है; कि अब तक दिल को उस बस्ती की शामें याद आती हैं! |
देखूँ तो जुर्म और न देखूँ तो कुफ़्र है; अब क्या कहूँ जमाल-ए-रुख़-ए-फ़ित्नागर को मैं! |