कौन कहता है कि दिल सिर्फ लफ्जों से दुखाया जाता है; तेरी खामोशी भी कभी कभी आँखें नम कर देती है। |
इश्क़ वाले आँखों की बात समझ लेते हैं; सपनों में मिल जाए तो मुलाक़ात समझ लेते हैं; रोता तो आसमान भी है अपने बिछड़े प्यार के लिए; फिर पता नहीं लोग क्यों उसे बरसात समझ लेते है। |
एक रात वो मिले ख्वाब में; हमने पुछा क्यों ठुकराया आपने; जब देखा तो उनकी आँखों में भी आँसू थे; फिर कैसे पूछते क्यों रुलाया आपने। |
उस की आँखों को कभी गौर से देखा है फ़राज़; रोने वालों की तरह और जागने वालों जैसी है। |
रोने से और इश्क़ में बे-बाक हो गए; धोए गए हम इतने कि बस पाक हो गए। |
लोग मोहब्बत को खुदा कहते है; अगर कोई करे तो उसे इल्जाम देते है; कहते हैं कि पत्थर दिल रोया नहीं करते; फिर क्यों पहाड़ों से झरने गिरा करते है। |
बहुत सोचा, बहुत समझा, बहुत ही देर तक परखा; तन्हा हो के जी लेना मोहब्बत से बेहतर है। |
तुमने कहा था, आँख भर के देख लिया करो मुझे; अब आँख भर आती है पर तुम नज़र नहीं आते। |
कभी रो कर मुस्कुराए कभी मुस्कुरा के रोए; जब तेरी याद आई तुझे भुला कर रोए; एक तेरा ही नाम था जो हज़ारों बार लिखा; जितना लिख कर खुश हुए उससे ज्यादा मिटा कर रोए। |
नींद आँखों में नहीं ख़्वाब खो गए; तन्हा ही थे, कुछ तेरे बिन हम हो गए; दिल कुछ तड़प उठा, ज़ुबान भी लड़खड़ाई; तेरी याद में दो आँसू चुपके से बह गए। |