दिल समझता था कि ख़ल्वत में वो तन्हा होंगे; मैंने पर्दा जो उठाया तो क़यामत निकली। Meaning: खल्वत = एकांत |
फ़लक पे भोर की दुल्हन यूँ सज के आई है; ये दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है; अभी भी आते हैं आँसू मेरी कहानी में; कलम में शुक्र-ए- खुदा है कि 'रौशनाई' है| |
बरस पड़ी थी जो रुख़ से नक़ाब उठाने में; वो चाँदनी है अभी तक मेरे ग़रीब-ख़ाने में| |
अकबर दबे नहीं किसी सुल्ताँ की फ़ौज से; लेकिन शहीद हो गए बीवी की नौज से। |
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा; इतना मत चाहो उसे वो बे-वफ़ा हो जायेगा। |
कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से; ये नए मिजाज का शहर है, जरा फ़ासले से मिला करो। |
कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ; किसी की इक तरनुम में, तराने भूल आया हूँ; मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो; मैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ| |
मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार; दुःख ने दुःख से बात की, बिन चीठी बिन तार। |
ढूंढता रहता हूँ ऐ 'इकबाल' अपने आप को; आप ही गोया मुसाफिर, आप ही मंजिल हूँ मैं। |
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा; हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा; अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का; मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा। |