दोस्ती उन से करो जो निभाना जानते हो, नफ़रत उन से करो जो भुलाना जानते हो; ग़ुस्सा उन से करो जो मनाना जानता हो, प्यार उनसे करो जो दिल लुटाना जानता हो! |
आग सूरज में होती है जलना ज़मीन को पड़ता है, मोहब्बत निगाहेँ करती हैँ तड़पना दिल को पड़ता है! |
निकाल दिया उसने हमें अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह; ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के! |
कभी देखेंगे ऐ जाम तुझे होठों से लगाकर; तू मुझमें उतरता है कि मैं तुझमें उतरता हूँ! |
सुनो, रिश्तों को बस इस तरह बचा लिया करो; कभी मान जाया करो, कभी मना लिया करो! |
रिश्ते अगर दिल में हों तो तोड़ने से भी नहीं टूटते और अगर दिमाग में हों तो जोड़ने से भी नहीं जुड़ते! |
हम भी मोहब्बत करते है पर बोलते नहीं; क्यूंकि रिश्ते निभाते हैं हम तौलते नहीं! |
सिर्फ मोहब्बत ही ऐसा खेल है; जो सीख जाता है वही हार जाता है! |
नज़र और नसीब का कुछ ऐसा इतफाक है कि, नज़र को अक्सर वही चीज़ पसन्द आती है जो नसीब में नहीं होती। |
सुलगती रेत पर पानी की अब तलाश नहीं; मगर ये कब कहा हमने कि हमें प्यास नहीं! |