हथकरघे पर बुनी साड़ियों के बारे में विद्या की जिज्ञासा को शांत करने के लिए शाह उन्हें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के विभिन्न गांवों में ले गए। विद्या ने एक बयान में कहा, 'बुनकरों के गांव में मेरा स्वागत साधारण बांस करघों की तालबद्ध आवाज से हुआ। बुनाई की यह तकनीक शाह के जामदानी बुनकर द्वारा तैयार जटिल नमूनों जितनी ही प्राचीन है।'
विद्या ने कहा, 'मैं हैरान होकर बुनाई की इस खास कला को देखती रही।' विद्या ने कहा, 'साड़ी की बुनाई में लगने वाली मेहनत और कला के बारे में जानकर हाथ से बनी साड़ियों के लिए मेरा लगाव और भी बढ़ गया है। भारतीय टेक्सटाइल की बात ही निराली है। मैं इन्हें ज्यादा से ज्यादा पहनकर इनकी खासियत का दुनियाभर में प्रचार करूंगी।'