डायरेक्टर: गोपी पुथरण
रेटिंग: ***1/2
मर्दानी 2, 2014 में रिलीज़ हुई हिट फिल्म 'मर्दानी' का सीक्वल है. रानी मुख़र्जी हमें एक बार फिर सख्त और निडर पुलिस ऑफिसर शिवानी शिवाजी रॉय के किरदार में नज़र आई हैं और इस बार उसका मुकाबला एक मानसिक रूप से विकृत और खूंखार युवा विलन से जो की राजस्थान के शहर कोटा में पढने आई युवा छात्राओं अपहरण और बलात्कार कर के हत्या करता देता है.
गोपी पुथ्रन की फिल्म की शुरुआत काफी बढ़िया है और धीरे - धीरे शिवानी शिवाजी रॉय और हत्यारे सनी (विशल जेठवा) के बीच चलता चूहे - बिल्ली का खेल आपको फिल्म से बाँध लेता है और अंत तक ऐसा बांधे रखता है की चाह कर भी आपकी आँखें स्क्रीन से नहीं हटती. फिल्म थ्रिल और सस्पेंस से भरी हुई है कहीं भी खिंची हुई नहीं लगती है.
कहानी रोमांचक है और इसका दिलचस्प स्क्रीनप्ले फिल्म को शुरु से अंत तक एंटरटेनिंग बना कर रखता है. डायरेक्टर गोपी पुथरण जो की फिल्म क्व लेखक भी हैं आज भी देश के ज़्यादातर हिस्सों में प्रचलित लैंगिक असमानता को सामने लाने में सफल दिखते हैं और फिलहाल माहौल को देखते हुए इस फिल्म के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था.
मगर कुछ बातें समझ के बाहर भी लगती हैं. जैसी की सनी का पीड़ित बचपन और उसकी मानसिक हालत उसके कुछ ज्यादा ही चालाक किरदार के साथ मेल नहीं खाती. उसका हर बार पालिस से एक कदम आगे रहना तार्किक नहीं लगता है और उससे भी ज्यादा अजीब फिल्म के विलन जो की एक मानसिक रोगी, बलात्कारी और हत्यारा है उसका टीवी पर आ कर जनता से बात करना है.
फिल्म में लगभग हर पुरुष किरदार का रूपांतरण इस तरह किया गया है की उन्हें दुनिया की किसी भी महिला की तकलीफ और दर्द से किसी भी प्रकार की हमदर्दी नहीं है और वे जितना औरतों को नीचे धकेल पाएं उतनी कोशिश करते दिखते हैं जो की हद से ज्यादा बढ़ा चढ़ा कर दिखाया गया है.
एक्टिंग डिपार्टमेंट में रानी मुखर्जी ने एक निडर और साहसिक शिवानी शिवाजी रॉय के रूप में एक बार फिर अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिया है. वे हत्यारे से मानसिक लड़ाई लड़ते हुए अपने साथी पुलिकर्मियों द्वारा बार - बार अडचने डालने के बाद भी अपनी ड्यूटी करती है और अपराधी को पकड़ने के लिए दृढ़ है. रानी फिल्म के हर फ्रेम में ज़बर्दस्त लगी हैं.
फिल्म के विलन और शिवानी के साथ मानसिक खेल खेलने वाले बलात्कारी-हत्यारे 'सनी' के रूप में विशाल जेठवा रानी मुख़र्जी जैसी कलाकार के सामने भी अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहते हैं उन्हें देख कर लगता नहीं की ये उनकी पहली फिल्म है. उनका अभिनय दमदार है.
बाकी कलाकार अपने - अपने किरदारों में फिट हैं और फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी प्रशंसनीय है जो की सस्पेंस और थ्रिल को बढाने का काम करता है.
कुल मिलाकर, 'मर्दानी 2' सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर है जिसे रानी मुख़र्जी और विशाल जेठवा ने अपनी मज़बूत परफॉरमेंस से अपने कन्धों पर उठा रखा है. शुरुआत से ही फिल्म आपकी आंखों को स्क्रीन पर टिका कर रखती है. हालांकि कई जगह हालातों और किरदारों को रूढ़िवादी ढंग से भी पेश किया गया है मगर ये फिल्म आप पर अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहती है.