निर्देशक: रिमल श्रीवास्तव
रेटिंग: ***
एमएक्स ओरिजिनल क्राइम-ड्रामा सीरीज़ रक्तांचल कहानी है 80 के दशक के पूर्वांचल, उत्तर प्रदेश, की जहाँ टेंडर माफिया में वर्चस्व स्थापित करने की जंग जारी है।
सीरीज़ की शुरुआत होती है राज्य के डेवलपमेंट टेंडर आवंटन के परिणामों की घोषणा के साथ जो की पूर्वांचल के टेंडर माफिया किंग वसीम खान (निकितिन धीर) को जाता है. वसीम जो चाहता है उसे किसी भी तरह हासिल करना जानता है लेकिन कोई है, कोई नया, जिसे खान और उसके तरीके पसंद नहीं है. ये शख्स है विजय सिंह (क्रांति प्रकाश झा) एक युवा गैंगस्टर जो वसीम खान के वर्चस्व का अंत करने की ठान कर निकला है और आगे चल कर उसका कट्टर प्रतिद्वंद्वी बन जाता है. इस तरह से शुरू होता है सत्ता और ताकत का एक ख़ूनी खेल जो पूर्वांचल को रक्तांचल में बदल कर रख देता है।
सच्ची घटनाओं से प्रेरित वेब सीरीज़ रक्तांचल हमें 1980 के पूर्वांचल में वापस ले जाती है जहाँ चीजें बेलगाम हैं. यहाँ सत्ता के भूखे टेंडर माफिया वसीम खान की तूती बोलती हैं व पूर्वांचल के हर नुक्कड़ और कोने पर उसके आतंक और क्रूरता के चर्चे हैं. कोई भी उस पर उंगली तक उठाने हिम्मत नहीं करता है, कम से कम तब तक नहीं जब तक खेल में विजय सिंह की एंट्री नहीं होती।
रीतम श्रीवास्तव ने यहाँ अपने किरदारों को बहुत ही चतुराई के साथ पिरोया और प्रस्तुत किया है. कहानी की बात करें तो वो ठीक है और रोमांच बना रहता है जो आपकी आँखों को स्क्रीन पर टिका के रखता है. लेकिन कई बार ये कहानी अपनी रफ्तार और दर्शकों की दिलचस्पी को तोड़ते हुए अनावश्यक रास्तों पर निकल पड़ती है. फिर भी, रितम का निर्देशन अच्छा है ।
सिनेमेटोग्राफी भी बढ़िया है और 80 के दशक के पूर्वांचल क चित्रण बखूबी किया गया है। छोटी - छोटी डिटेल्स पर भी ख़ासा ध्यान दिया गया है जो की सराहनीय है। शो का स्क्रीनप्ले ये दिखाता है की 80 के दशक के माफिया के तौर-तरीकों को समझने के लिए रक्तांचल की टीम ने काफी खोजबीन की है जो की सीरीज़ के हर एक फ्रेम में नज़र आता है और काबिल'ए'तारीफ़ है.
परफॉरमेंस फ्रंट पर, निकितिन धीर ने वैसे तो पहले भी कई नेगेटिव रोल किये हैं जैसे की 'चेन्नई एक्सप्रेस', 'जोधा अकबर', 'दबंग 2' लेकिन वसीम खान के रूप में उनका किरदार अब तक सबसे दमदार लगा है. उनका वसीम खान निर्दयी, आक्रामक व बेहद खतरनाक है जिस पर पूरे शो के दौरान निकितिन की पकड़ बनी रहती है।
क्रांति प्रकाश झा, जो पहले 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' और भी कई फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार निभा चुके हैं, वसीम खान को हराने और टेंडर माफिया का नया किंग बनने के लिए बेताब विनय सिंह के किरदार में जानदार लगे हैं । उनकी परफॉरमेंस के साथ उनकी स्क्रीन प्रेसेंस भी काफी मज़बूत है ।
प्रमोद पाठक व विक्रम कोचर जैसे अन्य कलाकारों ने भी अपने-अपने किरदारों में अच्छा काम किया है। सौंदर्या शर्मा और रोन्जिनी चक्रवर्ती ने अपनी भूमिकाओं को अच्छी तरह से चित्रित किया है, हालांकि यहाँ इन अभिनेत्रियों से उम्मीद थोड़ी ज्यादा थी ।
सीरीज़ का म्यूज़िक औसत है और क्राइम-थ्रिलर होने के कारण गाने नहीं हैं जो की बढ़िया कदम है. फिर भी, कुछ पल ऐसे हैं जहाँ पर बेकग्राउंड स्कोर और बढ़िया हो सकता था ।
कुल मिलाकर, रक्तांचल 80 के दशक के पूर्वांचल की अराजकता और माफिया-राज को पुनःनिर्मित करने में सफल दिखती है. निकितिन धीर व क्रांति प्रकाश झा का मज़बूत प्रदर्शन बाँध कर रखता है और अगर आप क्राइम-थ्रिलर के फैन हैं तो एक बार 80 के दशक में वापस जाना तो बनता है।