ज़ी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के मुताबिक जावेद ने अमरीश को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि अमरीश पुरी महान इंसान व अभिनेता दोनों का मिश्रण थे। अनेक वर्षों तक बॉलीवुड में अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जितने वाले अमरीश की बराबरी का कोई विलेन आज भी हिंदी सिनेमा में नहीं हैं। उन्होंने साल 1971 में 'रेशमा और शेरा' फिल्म से हिंदी सिनेमा में अपना सफर शुरू किया था , उसके बाद कुर्बानी, नसीब, हीरो, अंधाकानून, दुनिया, मेरी जंग और सल्तनत जैसी फिल्मों में अपने जबरदस्त किरदारों से लाखों लोगों को अपना दीवाना बना लिया।
12 जनवरी 2005 को अमरीश पुरी हिंदी सिनेमा और अपने फैंस को हमेशा के लिए अलविदा कह कर चले गए। ये बात भी सच है कि आज तक बॉलीवुड में अमरीश पुरी की जगह को कोई कलाकार नहीं भर पाया है। अमरीश पुरी के बारे में एक बार मशहूर फिल्मकार स्टीवन स्पीलबर्ग ने एक बार कहा था कि उन्होंने अपने जीवन में कई फिल्में देखी हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी पूरी ज़िन्दी में इतना अच्छा खलनायक नहीं देखा।