मनोज ने होश सम्भालते ही निर्णय कर लिया था कि वह एक्टर ही बनेंगे, परन्तु परिवार की हालत ऐसी थी कि वह अपने सपनों को पूरा नही कर पा रहे थे| लेकिन एक कहावत है कि अगर आपने ठान लिया तो कोई भी मंजिल आपसे छोटी नही हों सकती है| इसके बाद 17 साल की उम्र में वह थिएटर में एक्टिंग सीखने लगे थे, वर्तमान समय में अभिनेता अपनी दमदार एक्टिंग की बदोलत लोगों के दिलों में अलग जगह बना चुके हैं|
एक समत था जब मनोज को नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में 3 बार रिजेक्ट कर दिया था, इसके बाद अभिनेता ने निराश होकर आत्महत्या करने का फ़ैसला कर लिया था| परन्तु उन्होंने खुद को सम्भाला और मेहनत करते गए| एक बार उनके दोस्त और फिल्म मेकर अनुभव सिन्हा ने उनको मुंबई बुलाया, इसके बाद 1994 में शेखर कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म बैंडिट क्वीन में मनोज को अपना अभिनय कौशल दिखाने का मौका मिला| परन्तु अभिनेता को असली पहचान 1998 में रिलीज़ हुई फिल्म 'सत्या' से प्राप्त हुई, इसमें उनकी शानदार एक्टिंग ने दर्शकों का काफी ध्यान आकर्षित किया| फिल्म में उनकी शानदार परफॉर्मेंस को देखकर उन्हें बेस्ट एक्टर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था|
इसके बाद तो उन्होंने पीछे मुड़कर नही देखा और पिंजर, अलीगढ़, ट्रैफिक जाम, सोन चिरैया, सत्यमेव जयते, बाघी-2 जैसी सुपरहिट फिल्मों में अपनी बेहतरीन एक्टिंग के द्वारा लोगों का खूब मनोरंजन किया|