निर्देशक : पुलकित, ज्योत्सना नाथ, पुलकित
निर्माता : शाहरुख खान
प्लेटफॉर्म : नेटफ्लिक्स
रेटिंग: ***
बॉलीवुड की लोकप्रिय अदाकारा भूमि पेडनेकर की एक्टिंग का हर कोई दीवाना है| अभिनेत्री अपने छोटे किरदार से भी लोगों के दिलों में छाप छोड़ जाती हैं| हाल ही में अभिनेत्री की बहुप्रतीक्षित फ़िल्म 'भक्षक' को लोगों के सामने प्रस्तुत किया गया है| भयभीत कर देने वाली बालिका गृह की सच्ची घटना पर आधारित यह कहानी आपको देखनी चाहिए या नही इसमें हमारा रिव्यू आपकी मदद कर सकता है|
ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर लोगों के सामने प्रस्तुत की गई फ़िल्म 'भक्षक' की कहानी एक बालिका गृह से शुरू होती है| यह बिहार के मुन्नवरपुर ज़िले में बना हुआ होता है| इस बालिका गृह के मालिक बंसी साहू (आदित्य श्रीवास्तव) , गार्ड और वार्डन वहाँ पर रह रही लड़कियों का नशीली दवाइयाँ देकर यौन शोषण कर रहे होते हैं| फ़िल्म में ऐसे सीन को देखने के बाद आपकी भी रूह कांप जाएगी।
दो महीने पहले से इस पूरे कांड के बारे में ऑडिट रिपोर्ट दर्ज हुई होती है| फ़िर भी वहाँ की पुलिस और नेता चुप-चाप तमासा देख रहे होते हैं क्यों कि उनके परिवार के साथ कुछ गलत नही हो रहा होता है| बालिका गृह में छोटी-छोटी लड़कियों का शारीरिक शोषण हो रहा होता है, परंतु इस बारे में किसी न्यूज़ चैनल पर कोई खबर तक नही है|
जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है तो इस घटना के बारे में पटना की एक पत्रकार वैशाली सिंह (भूमि पेडनेकर) को इसकी जानकारी मिलती है| वह ख़ुद का एक न्यूज चैनल कोशिश न्यूज चला रही होती है जो ज्यादातर लोगों तक पहुँच नही पा रहा है| वैशाली की ननद और जीजा नही चाहते कि वह पत्रकार बने लेकिन उनको अपने पति का साथ मिल जाता है| वह किसी से भी न डरते हुए इन सभी का सामना करने के लिए बालिका गृह कांड की रिसर्च में लग जाती हैं|
वैशाली ऑडिट रिपोर्ट को लेकर अपने कैमरामैन भास्कर सिन्हा (संजय मिश्रा) की मदद से अपने चैनल पर लाइव रिपोर्टिंग शुरू कर देती है| कैसे पटना के मुनव्वरपुर ज़िले में बने बालिका गृह के अंदर 35 लड़कियों का शारीरिक शोषण किया जा रहा है| यही बताती हुई इस फ़िल्म की कहानी आगे बढ़ती है| अब आपके मन यही सवाल घूम रहा होगा कि वैशाली उन सभी लड़कियों को न्याय दिला पाती हैं या नही? इसके लिए आपको यह रिव्यू लास्ट तक ध्यान से पढ़ना होगा|
निर्देशन में पुलकित और ज्योत्सना नाथ ने बहुत ही सराहनीय काम किया है| जैसी फ़िल्म की कहानी थी उन्होंने उसको वैसे ही रखते हुए सिंपल तरीके से लोगों के सामने प्रस्तुत किया है| कुछ मेकर्स होते हैं जो संवेदनशील घटना को आकर्षक दिखाने के लिए बैकग्राउंड में लाउड म्यूजिक डाल देते हैं| लेकिन 'भक्षक' में हमे ऐसा बिल्कुल भी देखने को नही मिलता है और यही इस फ़िल्म का सबसे मजबूत पक्ष है|
जब यह फिल्म अपने क्लाइमैक्स में पहुँचती है तो उस समय लोगों की आँखों से आँसू निकलने लगते हैं| फ़िल्म में सीन को जिस गंभीरता से दिखाया गया है इसका पूरा श्रेय कुमार सौरभ को मिलना चाहिए| आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उन्होंने इस कहानी का सिनेमैटोग्राफर कार्य काफ़ी अच्छे तरीक़े से संभाला है|
एक्टिंग में भूमि पेडनेकर सारी ज़िम्मेवारी लेती हुई एक संवेदनशीलता किरदार वैशाली के रूप में जबरदस्त नज़र आई हैं। दूसरी और उन्ही के कैमरामैन संजय मिश्रा अपने अभिनय कौशल का लोहा मनवाते दिखे हैं| इन दोनों की केमेस्ट्री मूवी का सबसे दमदार पार्ट रही है| बात करें आदित्य श्रीवास्तव जो बंसी साहू के किरदार में नज़र आए हैं तो उन्होंने उसको बढ़ी ही सिदत से निभाया है| इनके अलावा एसएसपी जसमीत कौर के रूप में युवा अभिनेत्री सई ताम्हणकर के किरदार को अगर निर्देशक थोड़ा और बढ़ा सकते थे|
अंत में हम यही कह सकते हैं कि फ़िल्म खत्म होने के बाद भी सभी के मन में अनेक सवाल आने लग जाते हैं| जब बंसी साहू को लास्ट में पता चल गया था कि बालिका गृह में पुलिस आने वाली है तो उसने भागने की कोशिश क्यों नही करता| और जब उसके साथ प्रशासन के लोग भी मिले हुए थे तो वह उन सभी का नाम क्यों नही सामने लाना चाहता| फ़िल्म की कहानी में पुलिस पक्ष को बहुत ज्यादा कमजोर दिखाया गया है जो देखने वालों को बिल्कुल भी समझ नही आया|
अगर आप भूमि पेडनेकर के फैन्स है और संवेदनशीलता मुद्दों से संबंधित कंटेंट को पसंद करते हैं तो 'भक्षक' फ़िल्म आपको बहुत ज्यादा पसंद आने वाली है| इस कहानी को आप अपने परिवार के साथ मिलकर भी देख सकते हैं|