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जॉन लीजेंड के साथ लीग में शामिल हुईं संजना सांघी, यूएनजीए 2025 में बनीं एमसीएन बोर्ड ऑफ एडवाइज़र्स की सदस्य!

जॉन लीजेंड के साथ लीग में शामिल हुईं संजना सांघी, यूएनजीए 2025 में बनीं एमसीएन बोर्ड ऑफ एडवाइज़र्स की सदस्य!
मुंबई, अक्टूबर 2025: न्यूयॉर्क में इस साल की यूएनजीए (संयुक्त राष्ट्र महासभा) सीज़न की शुरुआत एक शक्तिशाली अंदाज़ में हुई, जहाँ "ऑडसियस विज़नरीज़" (साहसी दूरदर्शियों) के एक विशेष आयोजन ने वैश्विक नेतृत्व और सामाजिक परिवर्तन का जश्न मनाया। इस मौके पर भारतीय अभिनेत्री और यूएनडीपी यूथ चैंपियन संजना सांघी ने अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई।

यह आयोजन संजना के लिए एक अहम् मुकाम साबित हुआ, क्योंकि उन्हें एमसीएन पार्टनर्स के बोर्ड ऑफ एडवाइज़र्स में शामिल किया गया है। अब वे दुनिया के कई प्रभावशाली नामों के साथ खड़ी हैं, जिनमें ग्रैमी-विजेता कलाकार जॉन लीजेंड और अभिनेत्री लेक्सी अंडरवुड भी शामिल हैं।

संजना की भागीदारी का केंद्र बिंदु रहा युवा-नेतृत्व वाले विकास की आवश्यकता। उन्होंने अपने ज़मीनी अनुभवों को साझा करते हुए एक मजबूत संदेश दिया: "अवर टाइम इस नाउ" (हमारा समय अब है)।

संजना ने कहा, "मैं सच्चाई साझा करना चाहती हूँ कि दुनिया की 50% आबादी 30 साल से कम उम्र की है, यानि आधी दुनिया। लेकिन, नेशनल पार्लियामेंट्स में केवल 3% प्रतिनिधि ही इस आयु वर्ग से हैं। अंतर्राष्ट्रीय मदद का 1% से भी कम हिस्सा युवाओं द्वारा संचालित प्रयासों पर खर्च किया जाता है।"

उन्होंने आगे कहा, "हमें एक ऐसे माहौल में पाला जाता है, जहाँ बताया जाता है कि आपकी सफलता किसी और की सफलता की कीमत पर ही आएगी। लेकिन, असली सफलता साथ मिलकर बनती है। जैसा कि दिग्गज और बुद्धिमान रतन टाटा जी कहा करते थे, "यदि आप अकेले चलते हैं, तो तेज़ चलेंगे, लेकिन यदि साथ चलेंगे, तो दूर तक जाएँगे। और मुझे लगता है कि यदि हमें दूर तक जाना है, तो युवाओं को इस विश्वास का हिस्सा बनाना होगा।"

संजना ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा, "मुझे उम्मीद है कि यह रात ऐसे युवा नेताओं को जन्म देगी, जो संवेदनशील, देखभाल करने वाले और सहानुभूतिपूर्ण होंगे, और यह जानेंगे कि पिछली और आने वाली पीढ़ियाँ उनके साथ हैं। हम अकेले नहीं हैं, और हमें जो भी लड़ाई लड़नी है, हम मिलकर लड़ सकते हैं।"

इस साल यूएनजीए की शुरुआत में एमसीएन बोर्ड से जुड़कर संजना सांघी ने एक स्पष्ट संदेश दिया है: युवा ही वर्तमान के शिल्पकार हैं। उनका डेटा-आधारित आह्वान इस बात की पुष्टि करता है कि स्थायी वैश्विक परिवर्तन सिर्फ युवाओं की सामूहिक ताकत को लागू करने से ही संभव है।

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