कोलकाता में जन्मे और पले बढ़े फिल्मकार ऋतुपर्णो घोष वृतचित्र फिल्म निर्माता सुनील घोष के पुत्र थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत विज्ञापन फिल्मों से की थी। कई सारी विज्ञापन फिल्में बनाने के बाद उन्होंने 1994 में फिल्म 'हिरेर अंग्ती' से फिल्म निर्देशन में कदम रखा।
घोष ने कई श्रेणियों में 12 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते। उन्हें 'चोखेर बाली', 'उन्नीशे अप्रैल', 'रेनकोट' और 'द लास्ट लीअर' जैसी फिल्मों के लिए याद किया जाता है।
साल 2012 में आई उनकी आखिरी फिल्म 'चित्रांगदा' के लिए उन्हें 60वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में स्पेशल ज्यूरी अवार्ड दिया गया।
घोष ने अपनी फिल्मों 'अरेक्ती प्रेमेर गोल्पो' 'मेमोरीज इन मार्च' और 'चित्रांगदा' में अपना अभिनय कौशल भी दिखाया था।