निर्देशक : संगीत सिवान
संगीत- शरीब तोषी
धर्मेंद्र व् उनके दोनों लाडलो के चाहने वालो को हमेशा इन तीनो पंजाबी दबंगों की फिल्मो का इन्तजार रहता हैं। 'अपने' और 'यमला पगला दीवाना' के बाद 'यमला पगला दीवाना-२' में जिस तरह से धर्मेंद्र व् उनके दोनों लाड्लें रुपहले पर्दे पर उतरे इसकी शायद उनके चाहने वालो को उम्मीद नहीं थी। फिल्म में जबरदस्त अभिनाताओ की तिकड़ी और हास्य का तडका कुछ ज्यादा कमाल नहीं कर पाया जिससे धर्मेंद्र और उनके दोनों सुपुत्रों के चाहने वालो की उम्मीदे फिल्म के प्रदर्शन के बाद धराशायी हो गई।
यमला पगला दीवाना के बाद यमला पगला दीवाना 2 में भी धर्मेन्द्र, धर्म सिंह ढिल्लो का किरदार निभाते हुए नज़र आये हैं जो की, अपने छोटे बेटे गजोधर (बॉबी) के साथ मिलकर लोगो को ठगने का काम करते है। वही धर्म सिंह के बड़े बेटे परमवीर (सनी देओल) एक बेहद ही शरीफ और ईमानदार इंसान का किरदार निभाया हैं जो लोन लेने वालो से रिकवरी का काम करता हैं। अपने पेशे के अनुसार गजोधर और धर्म सिंह दोनों मिलकर एक नाईट क्लब के मालिक योगिराज खन्ना (अन्नू कपूर ) को चुना लगाने का प्लान बनाते है।
वही परमवीर अपने पिता और भाई को अच्छा इंसान बनाने के अपनी माँ से किये हुए वादे की कोशिश को पूरा करते नज़र आते हैं। जहाँ धर्म और गजोधर योगिराज खन्ना जो की दिवालिया होने की कगार पे हैं को लूटने का इरादा बना रहे होते हैं वहीँ परमवीर सिंह उसके क्लब को डूबने से बचाने के लिए जद्दोजहद करता हुआ नज़र आता है । इसी बीच गजोधर और परमवीर दोनों योगी राज की दो बेटियों रीत (क्रिस्टीना अखीवा) व् सुमन (नेहा शर्मा) के प्यार में पड जाते है। तो क्या अंत में धर्म और गजोधर अपने इरादों में कामयाब होते हैं या परमवीर अपनी माँ से किये हुए वादे को निभा पाता है?
पंजाब और लंदन मैं शूट की गई फिल्म कुल मिलाकर सिर्फ पैसे और वक़्त दोनों की बर्बादी हैं और देओल भाइयो की एक्टिंग की बात की जाए तो सन्नी जहाँ ठीक ठाक काम कर गए वहीं बॉबी के लिए यही कहा जा सकता हैं की शायद वह अपने वंशानुगत एक्टिंग के हुनर से कुछ दूर हो गए हैं। और अगर बात करें गरम-धरम की तो जिस तरह से वह पूरी फिल्म के दौरान अपनी एक्टिंग को लेकर संघर्षरत दिखे इसकी उम्मीद कम से कम उनके चाहने वालों ने तो कभी नहीं की होगी।
बहराल पूरी फिल्म में अगर कोई चीज़ आपको कुछ संतुष्टि दे सकती है तो वो है क्रिस्टीना अखीवा और नेहा शर्मा की कुछ अदाएं। फिल्म की कहानी सम्पूर्ण रूप से एक उलझा हुआ ऐसा पुलिंदा लगती है जिसका छोर ढूँढने की जुगत में दर्शक इतने हताश हो जाते हैं कि अंतराल के आते आते वो इस रेंगती और और बिना वजह खिंची हुई कहानी के खत्म होने का बेसब्री से इंतज़ार करने लगते है।
और जहां तक रही बात पटकथा की तो एक अव्यवस्थित कहानी पर जिस तरह बेस्वाद कॉमेडी और रूमानियत का तड़का लगाया गया है है वह दर्शकों की तकलीफ में सिवाय इजाफा करने के कोई और काम नहीं करता। हालांकि फिल्म में सलमान खान के जलवे को भी इस्तेमाल करने की कोशिश की गयी परन्तु उनके डायलॉग्स की भरमार और उनका बेवजह प्रयोग इस यमला पगला दीवाना 2 नाम की डूबती नाव पर सिवाय वजन बढाने के कोई और काम नहीं करते।
अंततः अगर फिल्म के सभी आयामों पर गौर करें तो यमला पगला दीवाना 2 एक ऐसा कष्टदायक मज़ाक है जो की सिवाय आपके वक़्त और पैसों की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं करवाता।