तमिल से हिंदी फिल्मों में आने वाले रजनीकांत के दामाद होने के नाते धनुष से पूछे गए एक सवाल पर धनुष को रजनी कांत यानी ससुर जी से तुलना पसंद नहीं हैं।
धनुष कहते हैं कि "हालांकि में उनकी फ़िल्में ही देख-देख कर बड़ा हुआ हूँ तो हो सकता हैं कि मेरे ऊपर उनका असर हो, लेकिन मेरी उनके साथ तुलना नहीं हो सकती।
धनुष कहते हैं कि उनका फ़िल्मी करियर एक मिसाल बन चुका हैं। लेकिन मेरा फ़िल्मी स्कोर अभी केवल 26 फिल्मों का हैं। मेरी उनसे तुलना कैसे संभव हैं।"
वैसे तो 'राँझना' में निर्देशक आनंद एल राय ने एक तमिल हीरो को एकदम बनारसी देशी ठेठ बना दिया हैं। लेकिन धनुष का किरदार इसमें भी उनकी तमिल फिल्मों से मिलता जुलता ही हैं। 'राँझना' में भी धनुष तमिल के हीरो जैसे ही एक लवर-बॉय बने हैं।
फिल्म के बारे में बात करते हुए धनुष कहते हैं कि "पहले मुझे लगा था कि ये फिल्म मेरे लिए एक दम अलग किस्म की फिल्म होगी। लेकिन फिल्म की स्क्रिप्ट सुनने के बाद मुझे ऐसा लगा कि ये किरदार मेरे लिए वैसा ही हैं जैसे कि मैं अब तक तमिल फ़िल्मो में निभा चुका हूँ।
वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि मुझे पता था कि मुझे दोबारा से एक लवर-बॉय का ही किरदार निभाया हैं। लेकिन ये जगह और भाषा दोनों ही मेरे लिए अलग थी। लेकिन मेरी चिंता को सोनम और आनंद ने काफी कम कर दिया उन्होंने मेरे साथ बहुत मेहनत की।
मैंने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था कि आनंद मुझे एक नए प्रोजेक्ट और नई जगह के लिए प्रस्ताव देंगे। पहले तो में काफी सोच में था। लेकिन जब मुझे आनंद ने यकीन दिलाया और स्क्रिप्ट सुनाई तो स्क्रिप्ट ने मुझे काफी प्रभावित किया, और में इस प्रोजेक्ट के लिए तैयार हो गया।
धनुष की ये पहली हिंदी रोमांटिक फिल्म 'राँझना' एक मुस्लिम लड़की और एक हिन्दू लड़के की प्रेम कहानी हैं। जिसमें सोनम और धनुष एक दूसरे के साथ रोमांस करते हुए नज़र आयेंगे।
धनुष कहते हैं। "में अपनी फिल्मों का आकलन नहीं करता। तमिल नायडू में मेरे प्रशंसक 'राँझना' को पसंद करेंगे या नहीं ये तो बाद में ही पता चलेगा। हमने इसे तमिल भाषा में भी डब किया हैं आशा करता हूँ कि ये मेरे फैन्स को ज़रुर पसंद आएगी। लेकिन में इसके लिए किसी को भरोसा नहीं दिला सकता।"
राँझना इस शुक्रवार को रिलीज़ होने जा रही हैं। जबकि तमिल फिल्म 'अम्बिकापथ' को एक हफ्ते के बाद प्रदर्शित किया जाएगा।
धनुष कहते हैं कि बॉलीवुड में काम करना भी बिलकुल तमिल फिल्म इंडस्ट्री जैसा ही हैं। फर्क बस इतना हैं कि यहाँ प्रोमोज़ बड़े थकाऊ होते हैं।
दक्षिण में हम आम तौर पर कुछ इंटरव्यू ही करते हैं और बस काम ख़तम। लेकिन बॉलीवुड में 'राँझना' प्रमोशन वास्तव में बड़े ही थकाऊ हैं। हमने राँझना के प्रमोशन के लिए लगभग 15 शहरों का दौर किया हैं। जबकि तमिल में हम फिल्मों के प्रमोशन के लिए कभी-कभार ही दूसरे शहर जाते हैं। बस ये ही फर्क हैं दोनों इंडस्ट्री में।
धनुष स्वीकार करते हैं कि उनके लिए हिंदी में काम करने में बड़ी मुश्किल हो रही थी। मैंने ज्यादातर काम डबिंग के सहारे ही छोड़ दिया था क्योंकि मेरे लिए हिंदी सीखना सबसे मुश्किल काम था। लेकिन आनंद और सोनम ने हिम्मत नहीं हारी और इसके लिए में उनका आभारी हूँ। मैं अभी तक भी हिंदी में इतना अच्छा नहीं हुआ हूँ।
अपने हिंदी फिल्मों में आने के बारे में धनुष कहते हैं कि आनंद ने मेरा तमिल फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार कार्यक्रम 'ऐदुकलम' देखा था बस वहीं से उन्होंने मुझे कास्ट करने का सोचा। हालांकि में शुरुआत में उलझन में था लेकिन आनंद ने मुझे काफी प्रोत्साहन दिया।