होटल के अपने कमरे से समुद्र को देखकर मोहित होते हुए अपनी फिल्म के बारे में बात करते हैं। इरफ़ान की वे अद्वितीय आदतों जो उन्होंने अलग-अलग जगहों पर यात्रा करते हुए ग्रहण की हैं आज उनके लिए बहुत मायने रखती हैं।
पेश हैं उनके साथ साक्षात्कार के कुछ अंश .......
सुना हैं कि आप रितेश बत्रा की फिल्म 'लंच बॉक्स से फिल्म निर्माण में कदम रख रहे हैं? इस निर्णय को प्रोत्साहन कैसे मिला?
यह एक सौदा था जिसे मैंने और रितेश ने एक साथ बैठ कर निपटाया, हालाँकि इस फिल्म को बनाने में हमें बहुत मुश्किलें आ रही थी। लेकिन मैंने इस फिल्म की स्क्रिप्ट को पढ़ कर ये फैसला किया कि में ये फिल्म हर कीमत पर करूँगा।
सुना हैं कान महोत्सव में फिल्म समीक्षा को बहुत प्रशंसा मिली?
एक अभिनेता के तौर पर मैं इस बात से बेहद रोमांचित हूँ। लेकिन एक निर्माता के तौर पर में अपने कर्तव्यों से इतने अच्छे से वाक़िफ़ नहीं हूँ। इसलिए मैं नहीं कह सकता कि एक निर्माता के तौर पर मैं रोमांचित हूँ या नहीं। लेकिन एक बार मुझे मेरा रोल अच्छे से समझ आ जाए तो मैं बहुत सी फिल्मों का निर्माण करूँगा। यहाँ हमेशा कुछ ऐसी कहानियाँ होती हैं जिस पर आप फिल्म बना कर उन्हें स्क्रीन पर दिखाना चाहेंगे।
आपने निखिल आडवाणी की पाकिस्तान पर आधारित फिल्म में एक पाकिस्तानी खुफ़िया अधिकारी का किरदार निभाया हैं?
हाँ ये पहली बार हैं जब मैं एक खुफ़िया अधिकारी का किरदार निभाने जा रहा हूँ। बल्कि मैंने एक खुफ़िया अधिकारी के वास्तविक जीवन के बारे में इतना कुछ सिखा हैं। जिसमे अनावश्यक और थकाने वाला कुछ भी नहीं हैं। एक खुफ़िया अधिकारी की जिंदगी बड़ी ही नाटकीय होती हैं। पहली बार आप देखेंगे कि एक खुफ़िया अधिकारी किस-किस परिस्थिति से गुजरता हैं। उसके परिवार को क्या-क्या सहन करना पड़ता हैं, किस-किस तरह की चुनौतियाँ वो स्वीकार करते हैं और उन परिस्थितियों से कैसे निबटते हैं
आपको किस प्रकार की अनुसंधान सामग्री प्रदान की गई थी?
निखिल मुझे एक पूर्व-ख़ुफ़िया अधिकारी के पास लेकर गए थे। उन्हें नौकरशाही के बारे में बहुत ज्ञान था। मैंने उनसे बहुत कुछ सिखा। बाद में उन्होंने मुझे दो किताबें पढने के लिए दी। हमारे देश में खुफ़िया अधिकारियों के वास्तविक जीवन के बारे में कुछ ख़ास किताबें मौजूद नहीं हैं।
क्या आपकी टीम पाकिस्तान में शूटिंग करने जा रही थी?
हाँ हम सोच रहे थे। लेकिन हम ऐसा कर नहीं सके। एक अभिनेता के तौर पर हमे इस बात की इजाज़त नहीं थी। काश पाकिस्तान सरकार ने इस के लिए कुछ पहल की होती।