अभिनेत्री दिया मिर्जा कहती हैं कि वह खुश हैं कि वहखुद को बेकार के दिखावे से बचाने में कामयाब रहीं। उनका मानना है कि शोहरत के साथ-साथ लोगों में दिखावा भी आ जाता है। दिया 2000 में मिस एशिया पैसेफिक का खिताब जीतकर दुनियाभर में मशहूर हुई थीं।
उसके बाद से वह अभिनेत्री के तौर पर, सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर अपने काम और अपनी प्यारी मुस्कान के लिए जानी जाती रहीं और अब दिया फिल्म निर्माता भी हैं। लेकिन उन्होंने कभी अपनी शोहरत का दिखावा नहीं किया।
दिया ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, "शोहरत कभी कभी आपकी जिंदगी में दिखावा भर देती है। मैंने खुद महसूस किया है कि अपने आस पास के लोग किस कदर बदल जाते हैं और यह बहुत भयानक होता है। मैंने कोशिश की, कि जैसी हूं वैसी ही रहूं।"
अपनी फिल्म निर्माण कंपनी 'बॉर्न फ्री इंटरटेनमेंट' के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, "मैंने अभिनय में 10 साल बिताए हैं। अब मैं थोड़ा विस्तार करना चाहती हूं और अपनी क्षमता को परखना चाहती हूं। अपनी कंपनी को लेकर मैं बेहद खुश हूं और आशावादी हूं।"
उन्होंने कहा, "सिनेमा मेरे लिए जुनून है, लेकिन एसी फिल्मों में काम करके मैं अपना आत्म सम्मान नहीं खोना चाहती जिसमें मेरे करने के लिए कुछ न हो।"
दिया ने फिल्म 'रहना है तेरे दिल में' से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। उनकी खूबसूरत प्यारी मुस्कान ने लोगों पर जादू कर दिया था। उसके बाद वह 'तुमको न भूल पाएंगे' 'तुमसा नहीं देखा' 'परिणीता' 'दस' और 'लगे रहो मुन्नाभाई' जैसी फिल्मों में दिखीं।
हालांकि दिया को फिल्मों में अपनी समकक्ष अभिनेत्रियों प्रियंका चोपड़ा और लारा दत्ता जितनी सफलता नहीं मिली, जिन्होंने एक ही साल (2000) में क्रमश: मिस वर्ल्ड और मिस यूनिवर्स का ताज जीता था। लेकिन दिया का कहना है कि उनके लिए सिर्फ दर्शकों की पसंद मायने रखती है।
उन्होंने कहा कि वह सिर्फ अपने आप से प्रतिस्पर्धा रखने में विश्वास करती हैं।
Thursday, July 11, 2013 19:03 IST