प्राण वैसे तो काफी लंबे समय से बीमार चले आ रहे थे लेकिन, 30 मई को अचानक सांस लेने में दिक्कत के चलते उन्हें लीलावती अस्पताल में भारती कराया गया था। जहां शनिवार शाम 8.30 बजे प्राण ने अंतिम सांस ली और पंच तत्व में विलीन हो गये।
बॉलीवुड के महान नायक 50 और 60 के दशक के एक यादगार खलनायक थे। उनकी अभिनय क्षमता को किसी सीमा में बाँधा नहीं जा सकता। जब वह एक खलनायक के रूप में आए तो लोगों ने उनके नाम से नफरत करना शुरू कर दिया और जब वह एक नायक के रूप में आए तो लोगों के दिलों को झकझोर के रख दिया। फिल्म 'उपकार' में उनके किरदार मंगल चाचा ने लोगों को रोने पर मजबूर कर दिया था।
नई दिल्ली में 12 जनवरी, 1920 को जन्मे प्राण यानी प्राण कृष्ण सिकंद की शिक्षा कपूरथला, उन्नाव, मेरठ, देहरादून और रामपुर आदि जगहों पर हुई थी। प्राण के पिता लाला केवल कृष्ण सिकंद सरकार नौकरी में थे। प्राण के परिवार में उनकी पत्नी शुक्ला, दो पुत्र अरविन्द और सुनील और एक पुत्री पिंकी हैं।
1940 से पहली बार पंजाबी फिल्म 'यमला जट' से एक अभिनेता के तौर पर शुरुआत करने के बाद 350 से ज्यादा का स्कोर करने वाले प्राण को आज बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी जानते हैं। उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर में एक विलेन और चरित्र भूमिका दोनों ही निभाई।
प्राण ने भारत के बँटवारे से पहले 22 फिल्मों में काम किया था। जिनमे से ज्यादातर 1947 में रिलीज़ हुई थी। अपने फ़िल्मी करियर के एक लम्बे सफ़र के बाद देवानादं की फिल्म 'जिद्दी' में उनके साथ काम करने का मौका मिला था। जिसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड के नहीं देखा और एक से बढ़कर एक हिट फ़िल्मे दी।जिनमे से जंजीर। 'राम और श्याम', 'अमर अकबर एंथनी', 'उपकार', 'जॉनी मेरा नाम' और 'डॉन' जैसी फ़िल्में शामिल हैं।
प्राण जब फिल्म कश्मीर की कली, खानदान, औरत, बड़ी बहन, जिस देश में गंगा बहती है, हाफ टिकट, उपकार, पूरब और पश्चिम, और डॉन जैसी फिल्मों में एक विलेन की भूमिका में आए तो लोगों के दिलों-दिमाग पर एक विलेन के रूप में घर कर गये। यहाँ तक कि लोगों के दिलों में उनके विलेन के रूप की ऐसी छाया पड़ी कि लोगों ने अपने बच्चों का नाम प्राण रखना ही छोड़ दिया।
फिल्म इंडस्ट्री में दिए अपने योगदान के चलते पिछले वर्ष प्राण को सर्वश्रेष्ठ सम्मान 'दादा साहेब फाल्के' पुरस्कार से भी नवाजा गया। इसके अलावा उन्हें 1967, 1967 और 1972 में 'सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता', फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला था। 2010 में उन्हें पदम् भूषण से भी नवाजा गया।
एक बॉलीवुड पत्रिका द्वारा 'मिलेनियम के खलनायक' पुरस्कार हासिल करने वाले प्राण को 2010 में एक टीवी चैनल द्वारा प्राण को शीर्ष के 25 एशियाई कलाकारों में से एक का दर्जा भी मिला था।