अनधिकारिक खबरों में दावा किया गया है कि दत्त की तबीयत नासाज रहती थी, मगर अभिनेता की तीन घंटे चली स्वास्थ्य जांच के बारे में जेल के अधिकारी और अस्पताल के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
दत्त को स्वास्थ्य जांच के बाद वापस जेल ले जाया गया।
वर्ष 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों के मामले में दोषी करार दिए गए संजय दत्त ने मुंबई की एक विशेष अदालत में 16 मई को आत्मसमर्पण किया था। 22 मई को उन्हें मुंबई के आर्थर रोड केंद्रीय कारावास में ले जाया गया, जहां से बाद में उन्हें पुणे के यरवदा केंद्रीय कारावास भेज दिया गया। यहां दो महीने से अधिक समय से कैद अभिनेता को पहली बार कुछ घंटों के लिए बाहर निकलने का मौका मिला।
विशेष टाडा अदालत के समक्ष मामले की सुनवाई के दौरान दत्त ने घर का बना खाना, दवाएं एवं अन्य सुविधाओं की मांग की थी। उनकी मांगें एक महीने के लिए मान ली गई थी।
यरवदा जेल के अधिकारियों ने हालांकि जेल के नियम-कायदे का हवाला देते हुए उन्हें प्रदत्त सुविधाओं पर आपत्ति उठाई। इसके बाद से संजय दत्त आम कैदी की तरह दिन काट रहे हैं।
सुरक्षा कारणों से सिने स्टार को जेल की कोठरी में ही रहकर कागज के थैले बनाने का काम सौंपा गया है। इस काम के लिए उन्हें 25 रुपये रोजाना दिहाड़ी मिल रही है।