निर्देशक: विजय कुमार अरोड़ा
फिल्म 'रोंदे सारे व्याह पिच्छों' सच्चे प्रेम और पक्के विश्वास की एक ऐसी प्रेम कहानी है। जो एक बार फिर ये साबित कर देती है, कि प्रेम और विश्वास में बहुत शक्ति होती है। फिल्म कॉमेडी, एक्शन और ड्रामे से भरपूर एक मनोरंजक कहानी है। जिसमें फिल्म के सभी कलाकारों ने अपने अभिनय से जान डाल दी है। फिल्म की पटकथा को जितने अच्छे से लिखा गया है, उतने ही अच्छे से इसे फिल्माया भी गया है।
फिल्म का जो सबसे मुख्य पहलू है, वह है 'विश्वास' एक पोते का उसकी दादी की पसंद और सोच पर आँख बंद कर के विश्वास करना। जिसमें वह उनके ऊपर इतना भरोसा करता है, कि उनके भरोसे को अपना भरोसा बना कर उसे टूटने ना देने का फैसला कर लेता है और अंत में इसे पूरा भी कर के दिखाता है।
कहानी: यह कहानी है, एक ऐसे परिवार मामा गुरजीत (जसविंदर भल्ला), मामी रज्जो (नवनीत निशान), ममेरे भाई, हीरा (पुखराज भल्ला) और भांजी, मनप्रीत (नीरू बाजवा) की। जो पैसे कमाने के चक्कर में लोगों को चूना लगाने का काम करते है। ये चारों, पहले अच्छे पैसे वाले घरों के लड़कों से मनप्रीत की शादी करवाते है, और फिर शादी की रात ही दुल्हन यानी मनप्रीत घर के सारे गहने लेकर भाग जाती है। इस ठग परिवार का सबसे पहला शिकार होता है, रणबीर सिंह (हरीश वर्मा), जिसकी बीजी (जसवंत दमन) उसके लिए मनप्रीत को पसंद करती है। लेकिन शादी की रात ही मनप्रीत उनके घर के गहने लेकर भाग जाती है। बीजी और रणबीर इस बात का यकीन ही नहीं कर पाते कि मनप्रीत उनके साथ ऐसा कर सकती है। इसके बाद रणबीर पुलिस निरीक्षक (हरदीप गिल) से इसकी शिकायत करता है। लेकिन शिकायत के बाद जो सच सामने आता है, वह बेहद चौंकाने वाला होता है। दरअसल पुलिस स्टेशन में रणबीर को पता चलता है, कि वही नहीं बल्कि गोल्डी (राणा रणबीर) और चुन्नीलाल उर्फ चुन्नू सिंह ढिल्लों (राजपाल यादव) भी मनप्रीत और उसके परिवार की ठगी के शिकार हुए है। वे भी यहाँ अपनी शिकायत लेकर आए है। जो मनप्रीत का अलग-अलग नाम बता कर उसके अपनी बीवी होने का दावा भी कर रहे है। जब इस बात का रणबीर की बीजी को पता चलता है, तो उन्हें सदमा लगता है और उनका स्वास्थ्य खराब हो जाता है। हालाँकि रणबीर का दिल इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है कि मनप्रीत उसके साथ धोखा कर सकती है। इसके बाद रणबीर अपनी बीजी से मनप्रीत को ढूँढ कर लाने का वादा करता है। रणबीर को सफलता तब मिलती है, जब मनप्रीत के किसी संबंधी का नंबर उसे मिल जाता है। इसके बाद वह मनप्रीत को लाने निकल पड़ता है। मनप्रीत अपने मामा-मामी के साथ अपने ठगी के नये मिशन पर है। लेकिन इस बार उन्होंने जिस घर को अपना डेरा बनाया है, वह घर है मि. बराड़ ( गुग्गु गिल) का है, जो पहले से ही मार-धाड़ और गुंडा गर्दी के मामले में बदनाम है। नतीजन वहां मनप्रीत और उसके परिवार वाले खुद ही मुश्किल में फंस जाते है। रणबीर यहाँ शादी के प्रबंधक के तौर पर जाता है। अब रणबीर उन्हें कैसे बचाता हैं और क्या मनप्रीत रणबीर के साथ जाती है, यह देखने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
अभिनय: फिल्म के सभी कलाकारों ने अच्छा अभिनय किया है। वहीं फिल्म के मुख्य कलाकार नीरू बाजवा और हरीश वर्मा की जोड़ी एक साथ काफी अच्छी जमी है। दोनों ने अपने-अपने हिस्से का कार्य बेहद ईमानदारी और मेहनत से किया है। हरीश एक भावुक प्रेमी के किरदार में बहुत प्रभावित करते है। साथ ही उनका शराब पी कर अपनी बीजी के पैरो में बैठ कर बात करना अपने आप में एक अलग प्रभाव छोड़ता है। वहीं अगर जसवंत दमन की बात की जाए तो, उन्हें देख कर तो ये संदेह ही हो सकता है, कि यह फिल्म है या हकीकत।
फिल्म के बाकी कलाकारों में, जसविंदर भल्ला, नवनीत निशान, जसवंत दमन, हरदीप गिल, राणा रणबीर, राजपाल यादव, गुग्गु गिल हमेशा की तरह ही अच्छा काम कर गये है। वहीं इस बार जसविंदर भल्ला के बेटे पुखराज भल्ला ने भी इस फिल्म से अपनी शुरुआत की है। हालाँकि उनके पास अभी अनुभव की कमी है, जो धीरे-धीरे ही आएगा। लेकिन ये स्वीकार करना पड़ेगा कि अभिनय पुखराज के खून में है।
संगीत: फिल्म में शीर्षक गाने, 'रोंदे सारे व्याह पिच्छे' समेत 7 गाने है। जिसमें से लहम्बेर हुसनपुरी का गाया 'आइबो', जी दीप का 'कुडी ऑन फायर' और 'डी-जे वाले भैया' डांसिंग ट्रैक है। वहीं संदीप बंकेश्वर के 'चन्ना वे', और नवराज हंस का 'तु वी नी' सैड सोंग है। फिल्म के सभी गाने ठीक-ठाक प्रभाव छोड़ने में कामयाब है और काफी हद तक फिल्म के अनुसार सटीक भी बैठते है।