बच्ची के साथ मां, मामा और चाचा आए थे, जबकि लड़की का पिता पिछले माह से ही मुम्बई में सुनील शेट्टी के यहां चौकीदारी का काम करने गया है। मरणासन्न हालत में पहुंच चुकी बच्ची की जांच में पता चला कि इसे दिमागी बुखार है। प्राथमिक इलाज शुरू हुआ। लेकिन इलाज खर्चीला होने लगा। जबकि इस परिवार के पास हजार रुपये भी नहीं थे।
फिर लड़की के पिता को मुम्बई फोन गया। लेकिन रकम की राशि सुनकर लड़की का पिता रुहासा हो गया। यह जानकारी जब सुनील शेट्टी को हुई, तो फिल्मी पर्दे के इस 'दिलवाला' ने बच्ची के इलाज का पूरा खर्च वहन करने का प्रस्ताव किया।
बीमार लड़ी लीला की मां दुर्गा देवी ने संवाददाताओं को बताया कि चौकीदार इतनी बड़ी रकम के लिए सुनील शेट्टी को भी नहीं कह सकता था। लेकिन चौकीदार कृषन का उदास चेहरा देख सुनील शेट्टी ने खुद वजह पूछी और उसके बाद इलाज का सारा खर्च वहन करने की पेशकश की।
खटीमा स्थित आनंद हॉस्पिटल की प्रबन्धक रश्मी जोशी ने बताया कि 12 अक्टूबर शनिवार शाम पांच बजे बच्ची हॉस्पिटल में भर्ती हुई और प्राथमिक चिकित्सा के बाद रात 11 बजे हमने परिजनों को पैसे जमा कराने के लिए कहा। इसके ठीक एक घण्टे के अन्दर हमारे पास पैसा पहुंच गया।
जोशी ने बताया कि दरअसल, सुनील शेट्टी ने दिल्ली स्थित अपने मित्र तथा देशभर में मोबाइल व दूरसंचार टॉवर लगाने वाली फ्रन्टलाइन बिजनेस सल्यूशन प्रा.लि. कम्पनी के सीएमडी संजय सिन्हा को अस्पताल में तुरंत धन पहुंचाने के लिए कहा। इस तरह 15 हजार रुपए परिजनों के निजी खर्च के लिए और 35 हजार रुपए अस्पताल में जमा कराने के लिए एक घटे के अन्दर पहुंच गए।
इतना ही नहीं शेट्टी ने हॉस्पिटल के चैयरमैन को कई बार फोन किया और बच्ची के पुख्ता इलाज का अनुरोध किया। शेट्टी ने आवश्यकता पड़ने पर बच्ची के एयरलिफ्िंटग का भी प्रस्ताव दिया।
इलाज के तीसरे दिन बच्ची में सुधार दिखा है, और चिकित्सकों को अब बच्ची के स्वस्थ होने की उम्मीद जगी है। बच्ची की देखरेख कर रहे डॉ. डी.के.त्रिपाठी व डॉ.मनमोहन व्यास ने बताया कि सुनील शेट्टी की पहल से हम व हमारा स्टाफ काफी उत्साहित है।
चिकित्सकों ने बताया कि दिमागी बुखार से नेपाल व भारत में प्रतिवर्ष सैकड़ों बच्चों की मौत हो जाती है। व्यास के अनुसार बच्ची को कम से कम चौदह दिन और भर्ती रखना पड़ेगा।