चंबल के बीहड़ों में 'पान सिंह तोमर' और गाजियाबाद की गलियों में 'शागिर्द' की शूटिंग करने वाले फिल्मकार तिग्मांशु धूलिया की फिल्मों में ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों वाले भारत का दर्शन होता है। धूलिया मानते हैं कि वह 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' (डीडीएलजे) जैसी फिल्में नहीं बना सकते क्योंकि इस तरह की फिल्मों में खूबसूरत चेहरों के साथ चमक-दमक वाली जगहें फिल्माने की आवश्यकता होती है।
उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर इलाहाबाद में पले बढ़े धूलिया अपनी फिल्मों में हमेशा ही छोटे शहरों वाले अपने अनुभव को चित्रित करने की कोशिश करते हैं।
धूलिया ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, "मैं छोटे शहर की पृष्ठभूमि से आता हूं और वहां के बारे में बेहतर जानता हूं। यदि मैं 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' जैसी फिल्म बनाऊंगा तो वह नहीं चल पाएगी।"
धुन के पक्के धूलिया ने 'हासिल' 'चरस' और 'शागिर्द' जैसी अपनी शुरुआती फिल्मों के न चलने के बाद भी धीरज नहीं खोया और न ही अपनी खुद की चुनी राह ही बदली।
आखिरकार, उन्हें पहली बार पहचान मिली फिल्म 'साहब बीवी और गैंग्स्टर' से, उसके बाद उन्होंने अभिनेता इरफान खान के साथ 'पान सिंह तोमर' बनाई, जिसने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिलवाया।
धूलिया कहते हैं, "पान सिंह तोमर' मेरे करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। अब फिल्म निर्माण के क्षेत्र में मेरे लिए काफी कुछ आसान हो गया हैं।"
कामयाबी और पहचान के साथ बड़े बैनर और बड़े बजट की फिल्मों में बड़े कलाकारों के साथ काम करने के भी अवसर धूलिया को मिलने लगे।
उनकी आनेवाली फिल्म 'बुलेट राजा' उत्तर प्रदेश के माफिया जगत पर आधारित फिल्म है, जिसमें अभिनेता सैफ अली खान और अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा मुख्य भूमिकाओं में हैं।
धूलिया कहते हैं, "जब आपको यह पता है कि आपकी फिल्म का बजट 50 करोड़ रुपये से ज्यादा होगा, तो आपको फिल्म में बड़े कलाकारों को लेने की जरूरत पड़ेगी। यह अर्थव्यवस्था का तकाजा है।"
अपनी फिल्म 'बुलेट राजा' के प्रदर्शन का इंतजार कर रहे धूलिया ने कहा कि अब सिनेमा बदल रहा है और कलाकार भी नए-नए प्रयोगों के लिए राजी हैं। अब लोग सिर्फ वही नहीं करते रहना चाहते, जो पहले से करते आ रहे हैं, अब लोग ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना चाहते हैं।
Monday, October 28, 2013 15:26 IST