निर्देशक: पुनीत मल्होत्रा
स्टार: 2.5
बेहद हल्की-फुल्की प्रेम कहानी है, 'गौरी तेरे प्यार में'। जिसमें अनुपम खेर, करीना कपूर और परेशानियों से घिरी देश की भोली जनता के कुछ दृश्यों को निकाल दिया जाए तो फ़िल्म में कुछ नहीं बचता। अगर श्रद्धा कपूर को देखने जा रहे है, तो 'आशिकी-2' के कुछ एक दृश्यों को एक बार फिर से देख लीजिय। हाँ फ़िल्म की एक और खास बात ये हैं कि फ़िल्म को परिवार के साथ बैठ कर आराम से देखा जा सकता है। अगर आपके पास कोई ख़ास काम नहीं है तो एक बार फ़िल्म को वक़्त काटने के लिए जरुर देखा जा सकता है। लेकिन अगर फ़िल्म को लेकर बहुत ज्यादा उम्मीदें है, तो निराशा ही हाथ लगेगी।
पुनीत मल्होत्रा निर्देशित फ़िल्म 'गौरी तेरे प्यार में' एक दक्षिण भारतीय लड़के श्रीराम (इमरान खान) और दिल्ली के पंजाबी परिवार की लड़की दिया शर्मा (करीना कपूर) की कहानी है। जिनमें से दिया क्रेज़ी है समाज सेवा के लिए जो समाज में एक बदलाव लाना चाहती है। वहीं श्रीराम क्रेज़ी है दिया के लिए जो उसे अपने साथ शादी कर अपना घर बसा कर रहना चाहता है। अब ये दोनों अपने-अपने उद्देश्य को पाने की जद्दो जहद में लगे रहते है।
कहानी: श्रीराम गोआ के एक परिवार का लड़का है जिसके पिता शहर के एक बड़े नामी बिल्डर है। जिनके दो बेटे है। जिनमें से बड़े जय राम को वह बेहद होनहार समझते है और छोटा उनकी नजर में 'काला धब्बा' है। श्रीराम के पिता चाहते है कि वह उनका बिजनेस संभाले लेकिन श्रीराम के मनमौजी दिमाग में यह बातें नहीं घुसती। श्रीराम के शौंक है, रात भर कल्बों में गर्लफ्रेंड के साथ घूमना, मौजमस्ती करना और बेफिक्र हो कर जीना, ये उनके लाइफ स्टाइल में शामिल है।
लेकिन जब ऐसे मनमौजी श्रीराम की मुलाकात होती है एक 'एनजीओ' में काम करने वाली और सरफिरी लड़की दिया से। जो पहले तो उसे बहुत अच्छी लगती हैं लेकिन जैसे-जैसे वह दिया की समाज सेवा के पागल पन को जानने लगता है, वैसे-वैसे श्रीराम उसे सनकी समझने लगता है। फाइनली जब दिया उस से अपने रिश्ते के भविष्य के बारे में पूछती है तो वह हाँ नहीं कर पाता। फिर दिया वापिस दिल्ली चली जाती है और श्रीराम अपने माता-पिता की मर्जी की लड़की यानी वसुधा (श्रद्धा कपूर) से शादी करने लगता है। लेकिन वसुधा किसी कमल नाम के लड़के से प्रेम करती है और श्रीराम को कहती है कि वह शादी के लिए मना कर दे। लेकिन श्रीराम को वसुधा पसंद आ जाती है और वह चाह कर भी ना नहीं कर पाता। लेकिन धीरे-धीरे वसुधा श्रीराम को ये समझाने में कामयाब हो जाती है कि वह अभी भी दिया से प्यार करता है। अब वह श्रीराम को उकसाती है और उसे शादी के मंडप से भागने के लिए मजबूर कर देती है।
अब श्री राम शादी का मंडप छोड़ कर भाग जाता है, दिया के घर यानी दिल्ली। लेकिन वहाँ उसे पता चलता है कि दिया तो गुजरात के किसी गांव झुमली गई है। बस अब श्रीराम दिया के माता-पिता से ये वादा करता है कि वह दिया को वापिस लेकर आएगा। अब जब वह झुमली पहुँचता है तो वहाँ श्रीराम का भी एक नया संघर्ष शुरू होता है। अब यह संघर्ष क्या है और श्रीराम इस से कैसे निपटता है इसके लिय आपको फ़िल्म ही देखनी पड़ेगी।
अभिनय: अभिनय की बात अगर की जाए तो करीना और इमरान ने फ़िल्म में मुख्य भूमिका निभाई है। लेकिन करीना इमरान पर भारी पड़ी है। करीना ने अपने अनुभव के दम पर अच्छा काम किया है ख़ास बात कि उनके पास था भी करने के लिए इमरान तो बस पूरी फ़िल्म में ज्यादातर एक जैसे ही हाव-भाव में नजर आए है। पता ही नहीं चल रहा था कि अब वह दुखी है या खुश। वहीं अगर सुपरहिट फ़िल्म 'आशिकी-2' की हीरोइन श्रद्धा कपूर की बात की जाए तो उन्हें लेकर भी ठीक यही बात लागू होती है कि उनके चहेरे के हाव भाव हर एक परिस्थिति में एक जैसे ही नजर आए है। इमरान खान और श्रद्धा कपूर के हिस्से में ना तो गुस्सा था ना रोमांस, ना चिंता और ना कोई और भाव। वहीं अगर अनुपम खेर की बात की जाए तो उन्होंने बेहद अच्छा काम किये है, और वह जहाँ भी आए है थोड़ी देर के लिए ही सही, उन्होंने दर्शकों को बाँध कर रखा है। वहीं श्रीराम के माता-पिता के रूप में निज़ालघई रवि और सुजाता कुमार ठीक-ठीक थे।
संगीत: फ़िल्म का संगीत विशाल-शेखर ने दिया है। जो फ़िल्म की कहानी के हिसाब से ही बजता है। साथ ही 'धत्त तेरे की' चिंगम चबा के' जैसे गानों को काफी पसंद किया जा रहा है और ये कई म्युज़िक चार्ट में भी शामिल हो चुके है।