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मांझी ने अपने दम पर बिहार की गहलौर पहाड़ियों के बीच से 360 किलोमीटर का रास्ता बनाया। जिसके लिए मांझी ने 22 साल (1960-1982) दिन रात मेहनत की थी। इसका कारण मांझी का अपनी पत्नी को उचित उपचार ना दिला पाने से हुई मौत थी। और जिसके बाद उन्होंने थान लिया था कि वह अब किसी और के साथ ऐसा नहीं होने देंगे।
जब आमिर ने मांझी की कहानी सुनी, तो वह इस से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने इस गाँव में जाने का फैंसला किया। अब इसके बाद वह दशरथ के परिवार से मिलकर उनकी अमर आत्मा का जश्न मनाना चाहते है। कथित तौर पर वह 22 फरवरी को दशरथ के परिवार से मिलने के लिए बिहार रवाना होंगे।"
उनके इस करतब ने गया जिले के अत्री और वजीरगंज के बीच की दूरी कम कर दी, और इस से उन्हें राष्ट्रिय ख्याति मिली। लेकिन इसका दावा 2007 में किया गया, जब उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार बिहार सरकार द्वारा किया गया। यहाँ तक कि उनकी इस कहानी को आमिर के शो में भी शामिल किया गया था।