अनुपम ने कहा, "मुझे अभिनय करने से ज्यादा अभिनय सिखाने से प्यार है। औरों से लेने से कहीं बेहतर औरों को देना है। अभिनय का कोई पाठ्यक्रम नहीं होता और यह एक मजेदार अहसास है। मुझे नई पीढ़ी से बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है।"
अपने फिल्मी करियर की शुरुआत में 'सारांश' फिल्म में संजीदा भूमिका, 'कर्मा' में खलनायक की भूमिका और 'दिल है कि मानता नहीं' में एक जिंदादिल व्यक्ति की भूमिका निभाकर उन्होंने अपने अभिनय का लोहा मनवाया है। पिछले कुछ वर्षो में वह 'मैंने गांधी को नहीं मारा', 'अ वेडनेसडे' और 'टोटल सियापा' फिल्म में अलग-अलग भूमिकाओं में नजर आए हैं।
उन्होंने कहा, "मैं हमेशा कुछ हटकर करना चाहता था। यहां तक कि मैंने एक ही तरह की भूमिकाएं करने का मिथक भी तोड़ा। मैंने सभी तरह की भूमिकाएं की है। मेरा मुकाबला मुझसे है।"