वहीदा ने लेखिका नरीन मुन्नी कबीर द्वारा लिखी गई अपनी जीवनी 'कनवर्सेशन विद वहीदा' के लोकार्पण के दौरान संवाददाताओं से कहा, "मैं कोई 18 साल की नवयुवती नहीं थी, जब मैंने पहला अनुबंध किया था। मैंने कहा मेरी एक शर्त है कि यदि मुझे कोई पोशाक पसंद नहीं आई, तो मैं वह नहीं पहनूंगी।"
उन्होंने कहा, "मैं बिकिनी नहीं पहनना चाहती थी, क्योंकि मेरी काया इसके अनुरूप नहीं थी। मैंने फिल्मों में या अपने निजी जीवन में कभी स्लीवलेस ब्लाउज तक नहीं पहना, तो बिकनी पहनने की बात तो बहुत दूर रही।"
वहीदा ने गुरुदत्त के सामने एक और शर्त रखी कि वह फिल्मों में आने के लिए अपना नाम नहीं बदलेंगी।
उन्होंने कहा, "नाम बदलना उन दिनों चलन में था। दिलीप कुमार, मधुबाला, मीना कुमारी और भी लोगों ने नाम बदला था। मेरी जिद थी कि मेरे माता-पिता ने मेरा जो नाम रखा है, मैं उसे नहीं बदलूंगी।"