अपने अभिनय और उस से मिले स्टारडम के दम पर शाहरुख आज लाखों करोड़ों प्रशंसकों के दिलों पर राज कर रहे है। लेकिन इस स्टारडम के जहाँ हर किसी को चाहत होती है वहीं इसकी सबसे बड़ी समस्या ये है कि किसी की भी जिंदगी व्यक्तिगत नही रह जाती, एक स्टार क्या खाता है क्या पीता है और कहाँ जाता है ये सभी लोगों के मनोरंजन का साधन बन जाते है। लेकिन जहाँ दूसरे सितारे समय समय पर कहते सुने जाते कि व्यक्तिगत जिंदगी को व्यक्तिगत ही रहने दो वहीं शाहरुख इस बात से इक्तफाक नही रखते। उनका मानना है कि उन्हें प्राइवेसी की कोई जरूरत नही है।
48 वर्षीय अभिनेता ने अपने दो दशकों के करियर में तकरीबन 50 से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों में काम किया है। जिनमें से 'बाजीगर', 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे', 'दिल तो पागल है', 'वीर जारा', 'स्वदेश' और 'जब वी मेट तक हैं जान' उनकी सबसे यादगार फ़िल्में है।
शाहरुख कहते है, "मैं अपनी प्रसिद्धि से बहुत खुश हूँ, मैं अपने घर से निकलने, और लोगों के इन्तजार ना करने को याद करूँगा, मेरे आस-पास लहराते लोग और मिले हुए प्यार से बेहद खुश हूँ। मुझे छिप-छिप के रहने की कोई जरूरत नही है, मैं बेशर्मों की तरह एक स्टार होना चाहता हूँ। मेरे हिसाब से यह उन चीजों में सबसे खूबसूरत चीज है।"
"मैं बहुत खुश हूँ कि लोग मुझे अकेला खाना खाने का भी समय नही देते। एक चुनाव के तौर पर मैं इसे फिर से करना पसंद करूँगा।"
पत्रिका के फीचर संपादक जोआन अल के साथ एक सीधी बातचीत के दौरान शाहरुख ने कहा कि उन्होंने उस से कहीं ज्यादा पैसा कमाया है जिसके वह हकदार है।
"मैं निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से आया हूँ, और हमें पैसा कमाने में बहुत से मुद्दों से गुजरना पड़ता है। लेकिन मैंने अपने माता-पिता को बहुत मेहनत करते हुए देखा है। मैं कभी भी भौतिक वस्तुओं के साथ ज्यादा लगाव में नही रहा।"
"मेरे पास बड़ा घर है, एक शानदार कार है, स्टेडियम में बेहतरीन बक्से है। लोग सच में मुझे प्रेम से रखते है। लेकिन अगर मेरे पास ये सब नही होता और सिर्फ अभिनय हो तो भी मैं खुश ही होऊंगा।"