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'जेड प्लस' जैसी फिल्मों का हिस्सा होना संतोषजनक: मोना

'जेड प्लस' जैसी फिल्मों का हिस्सा होना संतोषजनक: मोना
हाल ही में प्रदर्शित हुई बॉलीवुड फिल्म 'जेड प्लस' में नजर आईं अभिनेत्री मोना सिंह का कहना है कि 'जेड प्लस' जैसी राजनैतिक व्यंग्य वाली फिल्मों का हिस्सा होना संतोषजनक है क्योंकि इनमें कलाकार को भावनाएं व्यक्त करने की जरूरत होती है​।

मोना ने बताया, "किसी कलाकार के लिए 'जेड प्लस' जैसी फिल्म का हिस्सा होना संतोषजनक है क्योंकि इनमें भावनाओं की विस्तृत श्रृंखला होती है​। दर्शक फिल्म देखेंगे तो उन्हें यह दिखेगा​।"​

​​ फिल्म 'जेड प्लस' मौजूदा राजनीति और लोकतांत्रिक हलचलों पर एक व्यंग्य है​। चंद्रप्रकाश द्विवेदी निर्देशित 'जेड प्लस' में आदिल हुसैन, मुकेश तिवारी और संजय मिश्रा ने भी किरदार निभाया है​।​ फिल्म शुक्रवार को सिनेमाघरों में उतरी​।

​​ छोटे पर्दे के 'जस्सी जैसी कोई नहीं' और 'क्या हुआ तेरा वादा' जैसे धारावाहिकों में यादगार भूमिकाएं निभाने वाली मोना पहले '3 ईडियट्स' और 'ऊट पटांग' जैसी फिल्मों में भी नजर आ चुकी हैं​।

​​ मोना ने कुछ ही फिल्में की हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि हिंदी सिनेमा में अच्छी पटकथाओं की कमी है। उन्होंने कहा​, "हम जो फिल्में देखते हैं, उनमें अधिकतर रोमांटिक फिल्में होती हैं। मैं रोमांटिक फिल्मों के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन यहां कुछ मेधावी सिनेमा भी होना चाहिए​।"​​

​ उन्होंने कहा​, "यहां कुछ ही ऐसी फिल्में हैं, जिन्हें मैं मेधावी सिनेमा में गिन सकती हूं​। मैं 'क्वीन' को कई बार देख सकती हूं और उसके बाद 'आंखों देखी' मेधावी फिल्म है​। मुझे ये फिल्में पसंद हैं​।​ यह अलग तरह का सिनेमा है​।​​"​​​​

​​ मोना ने कहा, "अच्छी पटकथाएं मिलने में समय लगता है और हमारे फिल्मोद्योग में अच्छी पटकथाओं की कमी है​।"

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