पूजा से एक साक्षात्कार में जब पूछा गया कि हिंदी सिनेजगत की 'नई लहर' के बारे में आपकी क्या राय है, तो उन्होंने आईएएनएस को बताया, "कुछ फिल्में नई हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश पुरानी एवं घटिया हैं। उन्हें खूबसूरत बोतल में पेश किया गया है।"
उन्होंने कहा, "मैं अपने पिता की फिल्में देखकर बड़ी हुई हूं। मेरे खयाल से उन दिनों में मेरे पिता और शेखर कपूर ने जो फिल्में बनाई थीं, वो अनुराग कश्यप की आज की कुछ फिल्मों से कहीं अधिक उन्नत हैं। भले ही अनुराग आज नए जमाने के राजा के रूप में लोकप्रिय हैं।"
पूजा ने कहा, "मैं एक विशेषज्ञ नहीं हूं, लेकिन जानती हूं कि इस संबंध में बहुत सारी बातें हो रही हैं। अगर आप तह में जाओ तो पता चलेगा कि कुछ भी नया नहीं है। वे (फिल्मकार) बार-बार उसी चीज की बढ़िया पैकेजिंग कर रहे हैं।"
महेश भट्ट को 'अर्थ', 'सारांश', 'नाम', 'काश' और 'डैडी' सरीखी फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है। उनकी लाडली बेटी पूजा (42) ने अपने सिनेमाई करियर की शुरुआत 1989 में 'डैडी' फिल्म से की थी। उसके बाद 'दिल है कि मानता नहीं', 'सड़क', 'सर', 'जख्म' और 'तमन्ना' जैसी फिल्मों में अभिनय किया। उन्होंने 'पाप' फिल्म से निर्देशन की शुरुआत की।
पूजा भी अपने पिता की तरह ही स्थापित सितारों के साथ काम नहीं करती हैं, बल्कि नवोदित कलाकारों को मौका देती हैं। इस बारे में पूजा ने कहा, "मेरे पिता का मानना है कि हम स्टार पैदा करते हैं और उसके बाद दूसरे लोग उन स्टार को अपनी फिल्मों में लेते हैं..मेरा मुकाबला सिर्फ पिता और मेरे चाचा (मुकेश भट्ट) से है, क्योंकि मैं आज जो कुछ जानती हूं, उन्होंने ही सिखाया है।"