उन्होंने आईएएनएस को एक साक्षात्कार में बताया, "मेरे विचार से स्टारडम कुछ खास नहीं, सिर्फ सामान्य लोगों से थोड़ी ज्यादा तवज्जो होती है। आम लोगों के बीच कुछ लोगों को थोड़ी ज्यादा तवज्जो मिलती है, इससे ज्यादा स्टारडम में कुछ भी खास नहीं है।"
तमिल फिल्मों 'अदुकलम', 'पोल्लाथवन' और 'वेल्ला इल्ला पट्टाथारी' के लिए पहचाने जाने वाले 31 वर्षीय धनुष का मानना है कि अभिनेता भी अपनी आजीविका के लिए ही फिल्मों में काम करते हैं, तो स्टारडम कोई बड़ी बात नहीं है।
धनुष ने कहा, "मैंने अपने जीवन में हमेशा देखा है कि यदि कोई इंसान पांच रुपये कमाता है, तो उसे छह रुपये ज्यादा लगते हैं। तो इससे फर्क नहीं पड़ता कि एक फिल्म कलाकार कितना कमाता है या एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर कितना कमाता है। हर किसी को अपने स्तर की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है।"
दक्षिण भारतीय फिल्मों और हिंदी फिल्मों में काम के साथ सामंजस्य बिठाने वाले धनुष को किताबें पढ़ना और यात्रएं करना भी काफी पसंद है। धनुष हालांकि बॉलीवुड के नायक के तथाकथित मापदंड के अनुरूप नहीं हैं, लेकिन अपनी पहली हिंदी फिल्म 'रांझना' में उन्होंने अपनी प्रतिभा से हिंदू सिनेप्रेमियों का दिल जीता, जिसके बाद दर्शक उनकी आने वाली हिंदी फिल्म 'शमिताभ' का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
बॉलीवुड में दिन ब दिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा को लेकर धनुष को खास परवाह नहीं है। उन्होंने कहा, ''मैं यहां नया हूं और मेरे पास इतना ही समय होता है कि अपने किरदार पर ध्यान केंद्रित करूं, ताकि अपने निर्देशक एवं दर्शकों की उम्मीदों पर खरा उतर सकूं। प्रतिस्पर्धा मेरे लिए गैरजरूरी है।'' धनुष ने कहा कि मौका मिले तो वह अभिनेता रणबीर कपूर और रणवीर सिंह के साथ काम करना चाहेंगे।