नवाजुद्दीन ने पारंपरिक फिल्मी नायकों से बिल्कुल अलग छवि, शख्सियत और अभिनय के बल पर ही बॉलीवुड में अपने लिए जगह बना।
हाल में निर्देशक श्रीराम राघवन की 'बदलापुर' में नजर आए नवाजुद्दीन का मानना है कि ज्यादातर लोगों को जब शोहरत का नशा चढ़ता है, तो वे हीरो जैसे चलताऊ ढर्रे में ढल जाते हैं, जिससे उनकी व्यक्तिगत पहचान खो जाती है।
उन्होंने बताया, "नए कलाकार अपने साथ एक अलग पहचान लेकर आते हैं, लेकिन बॉलीवुड में आ जाने के बाद उस पहचान को खो नहीं देना चाहिए। अक्सर यह होता है कि जब लोग बॉलीवुड में आ जाते हैं, तो एक ही जैसे हीरो वाले ढर्रे में ढल जाते हैं।"
उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं होना चाहिए. यह आपकी व्यक्तिगत पहचान को मिटा देता है. जब आप किसी किरदार को निभा रहे हैं, तो उसे अपने तरीके से निभाना चाहिए. यह बात महत्वपूर्ण है।"
नवाजुद्दीन ने 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'कहानी', 'किक', 'द लंचबॉक्स', 'तलाश' और 'बदलापुर' जैसी फिल्मों में अलग-अलग अंदाज में विभिन्न भूमिकाएं निभाई हैं।
नवाजुद्दीन यह स्वीकार करते हैं कि नकारात्मक किरदार उन्हें ज्यादा आकर्षित करते हैं, क्योंकि उनमें जटिलता होती है और एक ही किरदार में कई परतें होती हैं। लेकिन नवाजुद्दीन को हास्य भूमिकाएं करना भी पसंद है।
आने वाली फिल्म 'घूमकेतु' में नवाजुद्दीन एक हास्य भूमिका में हैं और अपनी हास्य कलाकारी से दर्शकों को लोटपोट करते नजर आएंगे। उन्होंने कहा, "मुझे सीधी सादी भूमिकाएं करने में मजा नहीं आता, न ही साधारण खलनायिकी में। मुझे चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं पसंद हैं।"