'बदलापुर' में हत्यारे की भूमिका निभाने वाले नवाजुद्दीन ने कहा, "मैंने पहले दिन ही वरुण का जोश और जुनून देख लिया था। मैं उनके जोश से बहुत प्रेरित हुआ। अगर वह अपने और मेरे किरदार की मांग को नहीं समझ पाए होते, तो फिल्म औंधे मुंह गिर गई होती।"
उन्होंने कहा, "वरुण ने फिल्म में काम करने का फैसला स्वयं लिया। उन्होंने अपने पिता (फिल्मकार डेविड धवन) तक से इस बारे में सलाह-मशविरा नहीं लिया था। वरुण ने जब एक बार फैसला ले लिया, तो वह अपने किरदार में पूरी तरह डूब गए। मैं उन्हें पूरे नंबर देता हूं।"
सवाल-आपने अपने किरदार को इतना सहानुभूति बटोरने वाला कैसे बना लिया?जवाब में नवाजुद्दीन ने कहा, "मैंने जितनी बार भी एक दृश्य की शूटिंग की, मुझे मेरे निर्देशक श्रीराम राघवन ने याद दिलाया कि तुम्हारा किरदार संयोगवश एक हत्यारा है। उसके साथ ही उसमें बदलाव भी जाहिर है। मुझे उसे (किरदार) बदलते दिखाना पड़ा।"
सवाल-ऐसा करना मुश्किल नहीं था? इसके जवाब में नवाजुद्दीन ने कहा, "इस किरदार को निभाना आसान नहीं था, क्योंकि वह अपनी संवेदनाओं को जाहिर नहीं करता था। उसमें बदलाव उस जगह हो रहा था, जहां वह इस बदलाव को स्वयं नहीं देख सकता था। मैं अपनी जिंदगी में ऐसे कई लोगों से मिला हूं, जिन्होंने जबर्दस्त मानसिक व शारीरिक आघात झेला है। लेकिन मौजूदा समय में वह छोटे-मोटे काम धंधों में लगे हुए हैं।"
सवाल- फिल्म में हुमा कुरैशी के साथ भी आपका जबर्दस्त तालमेल दिखा। आप लोगों ने यह कैसे किया? इस सवाल के जवाब में नवाजुद्दीन ने कहा, "हमने 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' फिल्म में साथ में काम किया। इसलिए हमारे बीच पहले से एक सहज रिश्ता है। हमने दृश्यों को बेहतर बनाने के लिए 'बदलापुर' में मिलकर काम किया।"