कास्ट: राजकुमार राव, मौनी रॉय, बोमन ईरानी, अमायरा दस्तूर, परेश रावल, गजराज राव, सुमीत व्यास, मनोज जोशी
डायरेक्टर: मिखिल मुसले
रेटिंग: **1/2
एक चाइनीज़ जेनरल की एक कप चाइनीज़ मैजिक सूप पीने के बाद मौत हो जाती है, जांचकर्ताओं को लगता है की मौत सूप के स्पेशल इनग्रीडीएँट के कारण हुई है. सूप कंपनी के मालिक रघु (राजकुमार राव) और उसके पार्टनर्स को इस केस को सुलझाने के लिए बुलाया जाता है और यहाँ से फिल्म हमें फ्लैशबैक में लेकर जाती है.
रघुवीर मेहता की किस्मत कई तरह के बिज़नस में अपना हाथ आजमाने और नाकामयाब होने के बाद एक अंडरग्राउंड चाइनीज़ सूप के सप्लायर के तौर पर चमकती है, यह सूप मर्दों की यौन शक्ति को बढाने का काम करता है और रघु के नसीब चमकाने का भी. रघुवीर के गरीबी से अमीरी तक के इस सफ़र में बहुत से दिलचस्प मोड़ और लोग शामिल हैं जो फिल्म की कहानी का आधार है.
रघु की कहानी में कई मनोरंजक किरदार हैं, जैसी की तन्मय शाह (परेश रावल) एक बिज़नस इन्वेस्टर जो रघु को 'कस्टमर चूतिया है' के रूप में परम ज्ञान प्रदान करता है. रघु का प्रोत्साहन स्त्रोत मिस्टर चोपड़ा (गजराज राव), उसकी पत्नी रुक्मिणी (मौनी रॉय), उसका चचेरा भाई धनराज (सुमीत व्यास), और डॉक्टर वर्धि (कॉमन ईरानी) एक 70 साल के यौनविशेषज्ञ.

राजकुमार, रघु के किरदार में मनोरंजक लगे हैं, रघु की सादगी और इमानदारी को उन्होंने परदे पर अच्छे से उकेरा है, रघु ऐसा किरदार है जो की हार मानने में विशवास नहीं रखता चाहे वह कितनी भी बार नाकामयाब हो जाए और यही उसकी खासियत है. बोमन ईरानी, डॉक्टर वर्धि के किरदार में बढ़िया लगे हैं और उन्हें देखने में मज़ा आता है. रुक्मिणी के किरदार में मौनी ने अच्छा प्रदर्शन किया है और परेश रावल, गजराज राव और सुमीत व्यास भी अपने किरदारों में ठीक लगे हैं.
ये थी अच्छी बातें, फिल्म की सबसे ज़रूरी चीज़ यानी की स्क्रीनप्ले और कहानी पर ध्यान देना डायरेक्टर मिखिल मुसले भूल ही गए और सिर्फ बढ़िया अभिनेताओं के भरोसे बैठे रहे. मगर आज के दौर में फिल्म को हिट बनाने के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ है एक मज़बूत कहानी जो की मेड इन चाइना में चाइना के माल की ही तरह है, ज्यादा देर नहीं टिकती.

यह फिल्म अपने रस्ते से थोड़े - थोड़े समय के अंतराल पर भटकती रहती है और यही इसकी सबसे बड़ी कमी है. फिल्म का स्क्रीनप्ले खिंचा हुआ और धीमा महसूस होता है और धीरे - धीरे दर्शक को थकाने लगता है. हालांकि फिल्म में कई मजेदार पल हैं जो आपको हंसाएंगे भी मगर कहानी इतनी अस्थिर है की ये पल आपको याद नहीं रहने देती.
मेड इन चाइना का असली मकसद है भारत में सेक्स जैसे टॉपिक को आम टॉपिक की तरह पेश करना और यह बताना कि सेक्स के बारे में बात करना कोई गलत बात नहीं है, जो की अच्छा है मगर फिर फिल्म ज्ञान देने लगती है जो की उबाऊ लगता है.
कुल मिलकर, मेड इन चाइना अपनी दिशा से भटकी हुई फिल्म है और अब इसके बारे में कुछ नहीं किया जा सकता. हालांकि फिल्म में सभी कलाकारों की खासकर राजकुमार राव की परफॉरमेंस देखने लायक है जिसके लिए एक बार इसे देखा जा सकता है, मगर अधपका खाना किसे पसंद आता है.


