बुलबुल रिव्यू - दहशत और खूनी खेल के बीच महिला सशक्त‍िकरण के बारे में बताती है फिल्म!

बुलबुल रिव्यू - दहशत और खूनी खेल के बीच महिला सशक्त‍िकरण के बारे में बताती है फिल्म!
कास्ट: तृप्ति डिमरी, अविनाश तिवारी, राहुल बोस, पाओली दाम, परम्ब्रत चैटर्जी निर्देशक: अन्विता दत्त रेटिंग: ***1/2 19वीं शताब्दी के समय की याद दिलाती फिल्म ' बुलबुल' की कहानी 'बुलबुल' (तृप्त‍ि डिमरी) के आस पास ही घुमती नजर आती है | जिसकी शादी बचपन में ही एक राजघराने के बड़े ठाकुर (राहुल बोस) से हो जाती है | शादी के समय बुलबुल अपने पति बड़े ठाकुर, उनके जुड़वां भाई महेंद्र जो पागल हैं और उनके छोटे भाई सत्या (अविनाश तिवारी) से मिलती है और अपने बच्च्पने के कारण उसे लगता है कि उसकी ही उम्र का सत्या उसका पति है |

सत्या और बुलबुल दोनों एक दूसरे से हर बात साझा करने लगते हैं, बक्त बीतने के साथ- साथ दोनों बड़े हो जाते हैं | दोनों का हर समय साथ रहना बुलबुल के पति यानी बड़े ठाकुर को पसंद नही आता और वह सत्या को लंदन पढने के लिए भेज देते हैं | पीछे से सत्या के प्रति अपनी पत्नी बुलबुल का लगाव देखकर बड़े ठाकुर अपना आपा खो बैठते हैं और उसके दोनों पैर तोड़ देते हैं | बेहोश पड़ी बुलबुल के पास पागल महेंद्र आता है और वह उसका बलात्कार करके चला जाता है |

पढाई पूरी करने के पांच साल बाद सत्या विदेश से वापस आता है तो उसे पता चलता है कि गांव में लोगों का एक के बाद एक खून हो रहा है | गांव में लोगों का कहना है कि कोई चुड़ैल उन्हें मार कर भाग जाती है | फिर एक दिन जब गांव में खून होता है, तो उस खून के शक में सत्या, डॉ. सुदीप (परमब्रत चटोपाध्याय) को पकड़कर शहर की तरफ ले जाने लगते हैं , रास्ते में जंगल से निकलते समय जब उनको असली कातिल के बारे में पता चलता है तो उनुसके होश उड़ जाते हैं | इतने लोगों का हत्यारा कौन है इसके लिए आपको बुलबुल फिल्म को देखना होगा | 'बुलबुल' की कहनी शुरू से ही लोगों में सस्पेंस और जिज्ञासा बनाए रखती है जिससे उन्हें कभी भी फिल्म टाइम पास नही लगेगी |


अन्व‍िता दत्त द्वारा निर्देशित फिल्म 'बुलबुल' महिला सशक्त‍िकरण का संदेश लोगों को देती है | फिल्म की कहानी का सार एक ऐसी महिला का है जो समाज के द्वारा प्रताड़ित है | अन्व‍िता दत्त ने महिलाओं के अलावा इस फिल्म में किसानों के परिवारों और उनकी दुर्दशाओं का भी जबरदस्त तरीके से वर्णन किया है जो दर्शकों को काफी पसंद आएगा |

बुलबुल में तृप्त‍ि डिमरी ने काबिले तारीफ अभिनय किया है, जो लोगों का फिल्म के प्रति रोमांच बढ़ाने में सहायक साबित होटा है | उनके चेहरे की मासूमियत, प्रेमिका की तरह प्यार भरी नजरें, गुस्सा और अपने दर्द को बयां करना वाकई में सराहनीय है | बड़े ठाकुर के रूप में राहुल बोस का किरदार लोगों का खूब मनोरंजन करने वाला है, एक समझदार पति का किरदार उन्होंने बखूबी निभाया है | इन सभी के अलावा छोटी बहू बिनोदिनी के किरदार में पाओली दाम ने भी जबरदस्त भूमिका निभाई है | परमब्रत चटोपाध्याय की बात करें तो, उनका अभिनय फिल्म में कम समय का है, परन्तु अपने किरदार से उन्होंने लोगों का खूब ध्यान खिंचा है |


बुलबुल की कहानी शुरू से ही दर्शकों में डर बनाके रखती है और हर सीन में दिखाया गया सस्पेंस लोगों की नजर टीवी स्क्रीन से हटने नही देता | जबरदस्त स्क्रीनप्ले की वजह से सारे कलाकार अपने किरदार में एकदम फरफेक्ट और सटीक नजर आते हैं। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूज़िक इतना धमाकेदार है कि हर सीन में सस्पेंस बना रहता है जिससे दर्शकों का रोमांच और ज्यादा बढ़ जाता है |

कुल मिलाकर कहा जाए तो अनुष्का शर्मा के प्रोड्क्शन हाउस 'क्लीन स्लेट' के बैनर तले बनी फिल्म 'बुलबुल' लोगों के सामने एक दमदार थ्रिलर है | इसमें हर किरदार एक अलग प्रकार का मैसेज देता है, फिल्म की हरेक घटना एक दूसरे से जुड़ी हुई है और यह आपको किसी भी समय बोर नही होने देगी |

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