डेंजरस रिव्यु: कुछ ज़्यादा ही डेंजरस है 'डेंजरस' अपने रिस्क पर ही देखें!

डेंजरस रिव्यु: कुछ ज़्यादा ही डेंजरस है 'डेंजरस' अपने रिस्क पर ही देखें!
कास्ट: बिपाशा बासु, करण सिंह ग्रोवर, सोनाली राउत, सुयश राय, नताशा सूरी, नितिन अरोड़ा

निर्देशक: भूषण पटेल

रेटिंग:**

अपनी बोल्डनेस से लंबे समय तक हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में दर्शकों के दिलों पर जादू करने वालीं बिल्लो रानी यानी बिपाशा बसु ने हाल ही में डिजिटल एंटरटेनमेंट में एंट्री की | एमएक्स प्लेयर की इस सीरीज़ से बिपाशा और करण सिंह ग्रोवर जिसमे वे 4 साल के बड़े अंतराल के बाद अपने पति करण सिंह ग्रोवर के साथ नज़र आई हैं | यह प्यार और विश्वासघात के इर्द-गिर्द घूमती एक थ्रिलर सीरिज़ है |

कहानी की शुरुआत नेहा सिंह (बिपाशा बसु) से होती है जो एक पुलिस अधिकारी है जिसका तबादला हो जाता है| फिर उसको पूर्व प्रेमी (करण सिंह ग्रोवर) आदित्य धनराज की पत्नी दिया धनराज (सोनम राउत) के गुमशुदा होने का केस सौंपा जाता है। दिया एक बदमाश पत्नी है जो ड्रग्स का सेवन करती है और अपने पति के दोस्त विशाल वशिष्ठ (सुयश राय) के साथ शारीरिक रिश्ते में है। एक बार वह जिम जाने के रास्ते से अचानक गायब हो जाती है और उसके केस की जांच ही डेंजरस की कहानी का आधार बनता है।


इस सीरिज़ की कहानी दिया के लापता होने के मामले के इर्द-गिर्द घुमती नज़र आती है| फिल्म के स्क्रीनप्ले की अगर बात की जाए तो ऐसा लगता है कि इसके अंदर हुई अन्य मर्डर मिस्ट्रीज़ के बारे में कोई बात नहीं की जा रही है बस दिया के बारे में ही कहानी चल रही है| केवल कुछ ही बिंदुओं पर आपको इसमें सस्पेंस दिखेगा क्योंकि कहानी में ट्विस्ट कम हैं और जो हैं वे भी इतने कमज़ोर हैं कि आपको पहले ही पता चल जाएगा आगे क्या होने वाला है |

परफॉरमेंस की बात की जाए तो इसमें कोई शक नहीं की, दृष्टिकोण, मर्यादा और उपस्थिति के संदर्भ में इस सीरीज़ में महिला पात्रों की भूमिकाएं जबरदस्त रही हैं| परन्तु इसकी कहानी आपको इतनी पुरानी लगेगी कि आपकी आँखें स्क्रीन पर टिक नहीं पाती| नेहा के रूप में बिपाशा अपनी भूमिका बहुत स्पष्ट रूप से सभी प्रकार की भावनाओं को निभाती हैं चाहे वह प्यार हो, दुख हो या गुस्सा हो | वहीँ करण सिंह ग्रोवर के हाव-भाव ज़्यादातर समय एक जैसे ही नज़र आते हैं जो की देखने में बोरिंग लगता है |


इन दोंनों के अलावा, सोनाली राउत और नताशा सूरी की भूमिका अच्छी रही है और दोनों पूरे शो में कामुकता की भावना का प्रदर्शन करती हुई दिखाई दे रही हैं| सुयश राय कहानी में बहुत सुस्त नज़र आए हैं और हमें आश्चर्य है कि उन्हें सीरिज़ ऑफर की गई थी| उनके किरदार को देखकर ऐसा लगता है कि अब उन्हें मुख्य अभिनय छोड़ देना चाहिए और एक वैकल्पिक किरदार के तौर पर कैरियर बनाना चाहिए ।

सीरिज़ का संपादन सभ्य है और दृश्य सहज तरीके से प्रदर्शित किए गए हैं। फ्लैशबैक स्पष्ट हैं और वर्तमान-अतीत के द्रश्य आपको भ्रमित नहीं करेंगे। वास्तव में सिनेमैटोग्राफी भी बहुत अच्छी है, शॉट्स को साफ तरीके से लिया गया है। लेकिन कुछ बिंदुओं पर यह बहुत बेहतर हो सकती थी, इसे विदेशी लोकेशन्स पर शूट किया गया है जिससे सीरीज़ में कई दर्शनीय दृश्य हो सकते थे जिन्हें देखना और भी आनंदमय हो सकता था |

इसका संगीत काफी सुखदायक है और कुछ गानों में दृश्य काफी आकर्षक लग रहे हैं, कई जगह पर हम रोमांटिक द्रश्य भी देख सकते हैं। सीरिज़ के गीत हर स्थिति के लिए बहुत उपयुक्त हैं क्योंकि इनको अच्छे तरीके से लोगों के सामने पेश किया गया है |

एक निर्देशक के रूप में भूषण पटेल कुछ खास कमाल नही कर पाए हैं क्योंकि सीरिज़ में थ्रिल और सस्पेंस की मात्रा कम है जिससे सीरीज़ सिर्फ नाम से ही डेंजरस है, बाकि इसमें कुछ नही है| अंत में यही कहा जा सकता है कि इस सीरिज़ के शीर्षक के साथ अन्याय किया गया है तो बिपाशा - करण के फैन्स हैं तभी देखें और वो भी अपने रिस्क पर |

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