फिल्म समीक्षा: क्रूरता और संघर्ष से भरपूर समाज का आइना दिखती है 'एनएच10'

फिल्म समीक्षा: क्रूरता और संघर्ष से भरपूर समाज का आइना दिखती है 'एनएच10'
अभिनय: अनुष्का शर्मा, नील भूपलम, दर्शन कुमार, दीप्ति नवल

निर्देशक: नवदीप सिंह

रेटिंग: ***

नवदीप सिंह द्वारा निर्देशित फिल्म 'एनएच10' द्वारा अनुष्का शर्मा अपनी छवि बदलने के लिए पूरी तरह से तैयार है। फिल्म एक महिला के गहन संघर्ष की कहानी है, जो अपने पति और खुद को जीवित रखने के लिए अपने से कहीं ताकतवर और संकीर्ण मानसिकता के लोगों से लड़ाई लड़ती है। फिल्म आम मनोरंजक मसालों से अलग एक डरावने संघर्ष की कहानी है और जिसे निर्देशक ने बेहद वास्तविक लहजे में दर्शाया है।

फिल्म की कहानी ऐसे एक शादी-शुदा जोड़े मीरा (अनुष्का शर्मा) और अर्जुन (नील भूपलम) की है जो गुड़गांव में जॉब करते हुए ख़ुशी-ख़ुशी अपना जीवन बिता रहे हैं। लेकिन इनकी इस खुशाल जिंदगी को ख़राब मानसिकता की नजर लग जाती है। जिसकी शुरुआत होती है मीरा के एक दिन ऑफिस से देर होने के कारण। जब मीरा ऑफिस से घर लौट रही होती है तो रास्ते में कुछ गुंडे उस पर हमला कर देते हैं। इसके बाद मीरा और अर्जुन जब इसकी शिकायत पुलिस स्टेशन में लेकर जाते हैं तो उनकी सहायता करने के बजाय पुलिस उल्टा उन्हें ही इसका दोषी ठहराती है। यही बात मीरा को मानसिक तौर पर काफी परेशान कर देती है। अर्जुन मेरा को इस से निकालने के लिए उसके जन्मदिन पर उसे हॉलिडे पर ले जाने की योजना बनाता है। हालाँकि उन्हें नहीं पता होता कि उनकी यह हॉलिडे योजना उनकी जिंदगी के लिए अभिशाप बनने वाली है। यहीं से 'एनएच10' की वह क्रूर कहानी शुरू होती है जिसका संघर्ष बेहद डरावना और दुखद अंत से भरपूर होता है।

फिल्म की कहानी जितनी सीधी और सपाट है उसे उतनी ही जटिलता से फिल्माया गया है। फिल्म बिना अपने विषय से भटके दर्शकों को डर और थ्रिलर से बांधे रखती है। सुदीप शर्मा ने जिस तरह से फिल्म की यथार्त पर आधारित कहानी लिखी है निर्देशक नवदीप सिंह ने भी फिल्माने में पूरा-पूरा न्याय किया है। फिल्म का एक-एक दृश्य, स्थान बेहद वास्तविकता के साथ दर्शाया गया है। हालाँकि निर्देशक नवदीप सिंह का निर्देशन ग्राफ इतना व्यापक नहीं है लेकिन उनकी निर्देशन क्षमता की सराहना करनी होगी।

अभिनय की बात करें तो फिल्म का मुख्य और मजबूत केंद्र बिंदु सिर्फ और सिर्फ अनुष्का शर्मा ही है और उन्होंने अपने ही निर्माण में बनी इस फिल्म को अपनी खुद की छवि को बदलने के लिए बनाया है। अनुष्का शर्मा फिल्म में अपने अब तक की छवि से अलग एक बेहद मजबूत और आक्रामक किरदार में नजर आ रही हैं। कहा जा सकता है कि अनुष्का का यह प्रयास सराहनीय है और उन्होंने काफी मेहनत और उम्दा अभिनय का परिचय दिया है। फिल्म में अनुष्का ने अपने डायलॉग्स, डर, निराशा और भावनाओं की विस्फोटक प्रतिक्रिया के माध्यम से फिल्म की कहानी को बेहद मजबूत बना दिया है।

इसके अलावा फिल्म के बाकी किरदारों में एक आक्रामक और निर्दयी भाई के किरदार में दर्शन कुमार, एक बेहद देखभाल और प्यार करने वाले पति के किरदार में नील भूपलम, और एक कठोर दिल माँ के रूप में दीप्ति नवल ने भी उम्दा अभिनय किया है। 'मैरी कॉम में एक सहायक और शांत पति की भूमिका निभाने वाले दर्शन कुमार ने अपनी छवि के बिलकुल इत्र एक बेरहम भाई का किरदार निभाया है। दर्शन कुमार वास्तव में बेहद बेरहम लग रहे हैं।

फिल्म एक बार फिर हमारे देश की व्यथा यानी इंसानियत का अभाव और नारी सुरक्षा जैसे मुद्दों पर प्रश्चिन्ह लगाती है। भले ही देश को आज तरक्की की तरफ अग्रसर समझा जा रहा है और हाइवे भी उन्नति के प्रतिक माने जा रहे हैं लेकिन आज भी मानसिकता में उन्नति का अभाव है। फिल्म इसी सन्देश को देती है और फिल्म देखने लायक है। संगीत की बात करें तो फिल्म में तड़क-भड़क और संगीत का अभाव है और बिना इधर-उधर की बात किये सिर्फ अपने ट्रैक पर चलती है।

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