'तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया' रिव्यू: रोबोटिक कॉमेडी या प्यार की उलझन!

Friday, February 09, 2024 13:45 IST
By Santa Banta News Network
कलाकार: शाहिद कपूर, कृति सैनन, धर्मेंद्र, डिंपल कपाड़िया, राकेश बेदी, अनुभा फ़तेहपुरिया, अमीषा ठाकुर

निर्देशक: अमित जोशी और आराधना साह

निर्माता: मैडॉक फिल्म्स और जियो स्टूडियोज

रेटिंग: **

हाल ही में बॉलीवुड के हैंडसम हंक शाहिद कपूर और युवा दिलों की धड़कन कृति सैनन स्टारर "तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया" फ़िल्म को बड़े पर्दे पर लोगों के सामने प्रस्तुत किया गया है| मेकर्स ने वैलेंटाइन वीक दिनों में ही इसको रिलीज़ करने का फ़ैसला लिया था| यह रोमांटिक फिल्म कितना अपनी और लोगों को आकर्षित कर पाती है ये तो आने वाला समय ही बताएगा| लेकिन अगर आप भी इस रोबोटिक कॉमेडी मूवी को देखने की सोच रहे हैं तो उससे पहले हमारे इस रिव्यू को जरुर पढ़ कर जाएँ, इससे आपको पता चल जाएगा यह देखने लायक है भी या नही|

'तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया' फ़िल्म की कहानी आर्यन (शाहिद कपूर) नाम के एक लड़के से शुरू होती है| वह एक रोबोटिक इंजीनियर होता है, इसको आसानी से कोई भी लड़की पसंद नही आती और इसी वजह से वह शादी करने के नाम से ही भागता है|

लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है उसकी मुलाकात रोबोट लड़की सिफरा (कृति सैनन) से होती है| आर्यन को पहली ही नज़र में उस लड़की से प्यार हो जाता है| अपने प्यार को आगे बढ़ाने के लिए वह लड़का सिफरा को अपनी पूरी फैमिली से मिलवाने ले जाता है| आगे कैसे उनका रोबोटिक इश्क रोमांस की हेवी डोज देता हुआ आगे बढ़ता है यही इस फ़िल्म के क्लाइमैक्स में बताया गया है|

इस कहानी की शुरुवात बहुत ज्यादा स्लो होती है जिसके कारण यह मूवी आपको बोरिंग लग सकती है| जैसे ही दूसरा हाफ शुरू होता है तो इसकी कहानी लोगों को एंटरटेन करने लगती है| या यूँ कहें कि जब आर्यन (शाहिद कपूर) सिफरा (कृति सैनन) की अपनी फैमिली से मुलाकात करवाता है उसी वक्त कहानी का असली मज़ा शुरू होता है| अगर मेकर्स पहले हाफ को छोटा कर देते तो फिल्म के लिए अच्छा हो सकता था| रोबोट कैसे इंसानों से अच्छा प्यार कर सकते हैं इसका पता दर्शकों को क्लाइमैक्स में जाकर लगता है|

निर्देशन की बात करें तो अमित जोशी और अराधना साह ने अपना काम ठीक ठाक ही किया है| वह फ़िल्म के पहले हाफ को अच्छा बना सकते थे लेकिन उन्होंने सारा जोर सेकेंड हाफ पर लगा दिया ताकि दर्शकों को अंत में ज्यादा मज़ा आए| फ़िल्म की कहानी अच्छी है परन्तु शुरुवात को और मजबूत बनाया जा सकता था|

अभिनय में शाहिद कपूर पहले की तरह दमदार नज़र आए हैं लेकिन उनका रोमांस लोग पहले देख चुके हैं| 'तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया' फ़िल्म में भी वह उसी तरह का रोल करते दिखाई दे रहे हैं| दूसरी तरफ़ कृति सैनन अपने अभिनय में दर्शकों को काफ़ी पसंद आई हैं| उनका रोबोट किरदार जब भी स्क्रीन पर आता है लोग हंसने के लिए मजबूर हो जाते हैं| अभिनेत्री का हर एक एक्सप्रेशन अपने किरदार के साथ सटीक बैठता है| शाहिद कपूर से ज्यादा फिल्म में कृति का रोल अहम नज़र आया है|

जब स्क्रीन पर बॉलीवुड के आयरन मेन धर्मेंद्र की एंट्री होती है तो फ़िल्म देखने आए लोगों को काफी अच्छा लगता है| मेकर्स अगर उनसे एक्टिंग करवा ही रहे थे तो अभिनेता के रोल को थोड़ा और बढ़ाया जा सकता था| डिंपल कपाड़िया भी अपने किरदार भी फ़िट नज़र आई है| इन सभी के अलावा बाकी कलाकारों ने भी अपने किरदारों से न्याय किया है|

फ़िल्म के म्यूजिक का कार्य भार सचिन जिगर ने संभाला है वह अपने काम को ठीक ही करते दिखे हैं| अगर फ़िल्म के टाइटल गाने को हटा दिया जाए तो ऐसा कोई भी सॉन्ग नही है जो आपको पसंद आने वाला है| इसलिए हम आपको पहले ही बता रहे हैं कि जब भी कोई गाना आए तो आप बाहर जाकर चाय पानी पी सकते हैं|

अंत में यही कहा जा सकता है कि अगर आप वैलेंटाइन डेज को एन्जॉय करने के लिए यह फ़िल्म देखने जा रहे हैं तो आपको उदास होना पड़ सकता है| यदि आप शाहिद कपूर की रोमांटिक फ़िल्मों के दीवाने हो और कृति सैनन के फैन्स हैं तो यह कहानी आपको जरुर पसंद आने वाली हैं|
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