'मडगांव एक्सप्रेस' रिव्यू: हंसी का ऑवर डोज़ देती है तीन दोस्तों की मजेदार कहानी!

कलाकार: प्रतीक गांधी, दिव्येंदु, अविनाश तिवारी और नोरा फतेही

निर्देशक: कुणाल खेमू

रेटिंग: ***

कुणाल खेमू के निर्देशन में बनी पहली फिल्म 'मडगांव एक्सप्रेस' कॉमेडी, क्राइम और दोस्ती का एक अनूठा मिश्रण पेश करती है| जो अपनी विचित्र कथा और विलक्षण चरित्रों के साथ पुरानी दोस्ती फिल्मों से अलग है। पुरानी दोस्ती फिल्मों से अलग 'मडगांव एक्सप्रेस' गोवा में बनी लेकिन पृष्ठभूमि से हटके हास्य, रोमांच और अराजकता के तत्वों का संयोजन करते हुए, अलग-अलग क्षेत्रों में बनाई गई है। अगर आप भी इस मजेदार कहानी को बड़े पर्दे पर एन्जॉय करने जा रहे हैं तो उससे पहले हमारा यह रोमांचक रिव्यू अवश्य पढ़ कर जाएँ|

'मडगांव एक्सप्रेस' की कहानी बचपन के तीन दोस्तों आयुष, प्रतीक (जिन्हें पिंकू के नाम से जाना जाता है) और धनुष (जिन्हें डोडो के नाम से जाना जाता है) के इर्द-गिर्द घूमती नज़र आती है| जिनकी जिंदगी गोवा की यात्रा के दौरान अजीब तरीके से आपस में जुड़ जाती है।

यह मजेदार फिल्म कई विलक्षण चरित्रों का परिचय देती है, जिनमें ड्रग माफिया, तस्कर और इन सभी का समाधान करने वाली एक युवा लड़की शामिल है| इनका किरदार कहानी में हंसी के साथ-साथ रोमांच भी पैदा करता है। इन दोस्तों के बीच की कहानी, अपने-अपने तरीके से अनूठी विचित्रताओं और खामियों को लेकर हंसी के ठहाकों के साथ आगे बढ़ती रहती है|

कुणाल खेमू की निर्देशन प्रतिभा
कुणाल खेमू की निर्देशन क्षमता मडगांव एक्सप्रेस में निखर कर सामने आई है| क्योंकि वह एक ऐसी कहानी पेश करते हैं जो कॉमेडी, एक्शन और ड्रामा का एक अनूठा मिश्रण है। उनकी यह कहानी मजाकिया संवादों, हास्य स्थितियों से भरी हुई है जो दर्शकों को शुरू से अंत तक अपनी सीट पर बैठे रहने के लिए मजबूर कर देती है|

शानदार एक्टिंग प्रदर्शन और डायलॉग टाइमिंग
कलाकारों ने अपने अभिनय के द्वारा शानदार प्रदर्शन किया है| जिसमें दिव्येंदु का डोडो का किरदार अपनी पागलपन भरी ऊर्जा और मजेदार डायलॉग टाइमिंग के कारण वायरल भी हो गया है। प्रतीक गांधी का पिंकू किरदार हास्य डायलॉग को और ज्यादा रोमांचक बना देता है| जबकि अविनाश तिवारी का आयुष किरदार कलाकारों की केमिस्ट्री को पूरा करता है।

सिनेमाई अनुभव और संगीत
'मडगांव एक्सप्रेस' अपने हास्य डायलॉग और कथात्मक रचनात्मकता में लाजवाब है| लेकिन अगर संगीत की बात करें तो वह दर्शकों पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ने में विफल रहता है। हालाँकि 2 घंटे और 25 मिनट की फिल्म की अवधि एक सस्पेंसिंग कॉमेडी के साथ बढ़ती ही रहती है| जो दर्शकों के लिए एक मनोरंजक अनुभव सुनिश्चित करती है।

अंतिम निर्णय: देखने लायक कॉमेडी एडवेंचर
'मडगांव एक्सप्रेस' दोस्ती फिल्मों को एक ताज़ा उदाहरण पेश करती है| इसमे हास्य, रोमांच और दोस्ती का एक ऐसा संयोजन है जो मनोरंजक और आकर्षक दोनों है। कुणाल खेमू का निर्देशन डेब्यू अपनी हास्य प्रतिभा और यादगार सिनेमाई अनुभव देने की क्षमता के लिए सराहना का पात्र है। यदि आप एक ऐसी फिल्म की तलाश में हैं जो कॉमेडी, क्राइम और दोस्ती का मिश्रण हो तो 'मडगांव एक्सप्रेस' आप जरुर देख सकते हैं| इस फ़िल्म की कहानी आपको बिलकुल भी निराश नही करेगी|

End of content

No more pages to load