बॉलीवुड फिल्मों के टॉप 10 विचित्र टाइटल्स!
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बॉलीवुड फिल्मों के टॉप 10 विचित्र टाइटल्स!
कुछ फिल्मों के टाइटल ऐसे होते हैं जिन्हे सुन के ही फिल्म देखने का मन कर जाता है, फिल्म चाहे फ्लॉप हो जाए लेकिन इन फिल्मों के टाइटल हमेशा हिट और मेमोरेबल हो जाते हैं जो आपको सोचने पर मजबूर कर देते हैं की ऐसी क्या मजबूरी थी की ये टाइटल रखना पडा. कौन सी हैं बॉलीवुड की वो फ़िल्में आइये जानते हैं -
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अँधेरी रात में दिया तेरे हाथ में
फिल्म के टाइटल के 2 मतलब हैं लेकिन सुनने वाले को एक ही समझ आता है और आप जानते हैं हम किसकी बात कर रहे हैं. फिल्म के टाइटल की ही तरह फिल्म डबल मीनिंग डायलॉग्स से भरी हुई थी. कहानी या प्लाट से ज्यादा फिल्म का टाइटल मशहूर हुआ.
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गुरु सुलेमान चेला पहेलवान
फिल्म के टाइटल और फिल्म से लगता है कि मेकर्स ने सिर्फ टाइटल लिख कर ही काम चला लिया, कहानी की किसे ज़रूरत थी, फिल्म की स्टोरीलाइन आपको सोचने पर मजबूर कर देगी की ये फिल्म ऑस्कर अवार्ड कैसे नहीं जीत पायी?
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भेडीयों का समूह
इस फिल्म में आपको सीआईडी के एसीपी प्रद्युमन ये समझाने आते हैं की रिश्वत लेना अच्छा है बस जब तक आप किसी मुश्किल में न फंस जाओ, जैसे की भेडियों का समूह.
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दो लड़के दोनों कड़के
इस टाइटल को सोचने के लिए शायद राइटर लोगों की पूरी टीम ने दिन रात एक कर दिए होंगे. अमोल पालेकर की ये कॉमेडी फिल्म अपने टाइटल की ही तरह अजीबो गरीब थी.
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सस्ती दुल्हन महंगा दूल्हा
अपने नाम की तरह ये फिल्म भी इतनी गुमनाम है की शायद ही किसी ने इसे देखा हो. फिल्म का टाइटल फिल्म को बॉलीवुड कम और भोजपुरी एडल्ट फिल्म की तरह ज्यादा प्रेजेंट करता है.
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कुकू माथुर कि झंड हो गयी
झंड का मतलब है बेईज्ज़ती, एक शब्द जिसे यंगस्टर ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ये टाइटल भी फिल्म को ऑडियंस के लिए एक्साइटिंग नहीं बना पाया और फिल्म की भी बॉक्स ऑफिस पर झंड हो गयी.
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मटरू की बिजली का मंडोला
फिल्म के निर्माताओं के पास शायद सच में कोई टाइटल नहीं था और मेकर्स ने सोचा होगा की कहानी तो हमने कांफ्युसिंग बना दी है अब इसका टाइटल इससे भी ज्यादा कांफ्युसिंग रखा देते हैं.
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फालतू
फिल्म थी तो एक नकली कॉलेज के बारे में जिसे स्टूडेंट ही चला रहे हैं लेकिन जैकी भगनानी की ये फिल्म भी अपने टाइटल की ही तरह दर्शाकों को भी फालतू ही लगी.
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कमीने
इस शब्द का मतलब किसी भी भारतीय को समझाने की ज़रुरुत नहीं है. विशाल भरद्वाज की ये फिल्म, इसकी कहानी, किरदार खासकर शहीद कपूर फिल्म के नाम की ही तरह कमीने थे.
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छिछोरे
इस शब्द का मतलब होता है वो शख्स जिसके पास कोई काम नहीं बजाये आवारागर्दी के, जो ज़िन्दगी को लेकर बिलकुल बेपरवाह है और लफंटरबाज़ी को अपना धर्म समझता है जो की नितेश तिवारी की इस फिल्म के ट्रेलर में नज़र भी आता है.