बॉलीवुड की बेस्ट 'फ़ूड-थीम्ड' फ़िल्में
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बॉलीवुड की बेस्ट 'फ़ूड-थीम्ड' फ़िल्में
भारत एक ऐसा देश है जहाँ खाना अपने आप में एक धर्म है. कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर जगह का अपना अलग ज़ायका है, ज़ायका जो मुह में पानी ले आये. इस जायके से कोई भी अछूता नहीं है, बॉलीवुड भी नहीं, रोमांस एक्शन, ड्रामा, साइंस फिक्शन के साथ - साथ फिल्मों का एक जॉनर 'खाना' भी है. तो आईये आज जानते हैं आज कौन सी है बॉलीवुड की बेस्ट 'फ़ूड-थीम्ड' फ़िल्में -
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द लंचबॉक्स (2013)
फिल्म में इर्र्फान खान और निम्रत कौर को मिलाने में सबसे बड़ा योगदान अगर किसी का था वो था किस्मत से इरफ़ान खान तक पहुँचने वाले निम्रत के हाथ के खाने का. रितेश बत्रा की ये फिल्म बॉक्स ऑफिस सुपरहिट रही थी और ब्रिटिश अकैडमी अवार्ड्स के लिए भी नौमिनेट किया गया था.
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लव शव ते चिकन खुराना (2012)
अंडरवर्ल्ड डॉन से बचने के लिए वापस अपने गाँव आये कुनाल कपूर के किरदार को उसके बचपन के प्यार हुमा कुरैशी से मिलवाने में किसी ने अगर किसी ने मदद की तो वो थी उसके दारजी की चिकन की सीक्रेट रेसिपी 'चिकन खुराना'.
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शैफ (2017)
सैफ अली खान की ये फिल्म अमेरिकन फिल्म शेफ का हिंदी रीमेक थी. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ ख़ास नहीं चली लेकिन विदेश से वापस लौटे सैफ की फ़ूड वैन का स्वादिष्ट खाना स्क्रीन पर देख कर ऑडियंस की भूख ज़रूर बढ़ गयी.
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चीनी कम (2007)
आर बल्कि की चीनी कम में 66 साल के बावर्ची अमिताभ यानी बुद्धदेव गुप्ता रसोई में खाने के साथ - साथ तब्बू उर्फ़ नीना वर्मा संग प्यार की खिचड़ी भी पकाते नज़र आये थे. फिल्म में रोमांस के साथ कॉमेडी भी थी जिसके लिए फिल्म को क्रिटिकल क्लेम भी मिला.
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बावर्ची (1972)
भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना के किरदार रघु ने 1972 में आई इस फिल्म में अपने खाने और प्यार की मदद से खुशियों को शांति निवास परिवार के घर का रास्ता फिर से दिखलाया था.
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इंग्लिश - विंगलिश (2012)
खाने की बात हो और मीठे का ज़िक्र न हो ऐसा नहीं हो सकता. गौरी शिंदे द्वारा निर्देशित इस फिल्म में एक ट्रिप के बहाने इंग्लिश सीखने वाली श्रीदेवी की एक्टिंग भी उनके हाथों के बने लड्डुओं की ही तरह मीठी थी जो दर्शकों को खूब पसंद भी आई.
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खिचड़ी द मूवी (2010)
टीवी सीरियल खिचड़ी के फ़िल्मी वर्ज़न में हंसा ने एक बार फिर हमसे कहा 'हेल्लो हाउ आर, खाना खा के जाना हाँ', ये अलग बात है की फिल्म के टाइटल के अलावा कहीं और खाने नहीं था मगर आतिश कपाडिया की यह फिल्म टीवी के बाद फिल्म के ज़रिये पागलपन और कॉमेडी को अगले लेवल पर ले गयी.
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दावत ए इश्क (2014)
हबीब फैसल की 'दावत ए इश्क' चाहे बॉक्स ऑफिस फ्लॉप रही, फिल्म में कलाकारों से लेकर कहानी तक सबकी खूब किरकिरी हुई हो लेकिन एक चीज़ जो सबको पसंद आई वो था फिल्म में दर्शाया गया हैदराबादी ज़ायका, जो बेहद लज़ीज़ था.
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स्टैनली का डब्बा (2011)
अमोल गुप्ते के निर्देशन में बनी इस फिल्म में मुख्य किरदार स्टैनले के साथ - साथ भूख और खाने का भी बड़ा योगदान था. अमोल गुप्ते का सबसे बड़ा मकसद फिल्म में कुछ था तो वो था एक दिन स्टैनली के डब्बे का खाना खाना.
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कुकू माथुर की झंड हो गयी (2014)
बॉक्स ऑफिस पर मीठे और नमकीन के बीच फर्क न बता पाने वाले कुकू माथुर की चाहे झंड हो गयी हो लेकिन इस फिल्म में दिखाया गया खाना काफी टेस्टी लगा था.