बॉलीवुड फ़िल्में जिनमें उठी किसानों के अधिकारों की बात!

  • बॉलीवुड फ़िल्में जिनमें उठी किसानों के अधिकारों की बात!

    बॉलीवुड फ़िल्में जिनमें उठी किसानों के अधिकारों की बात!

    भारतीय किसान हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं|। पिछले कुछ महीनों से यही किसान लोकसभा में पारित हुए फार्म बिल को लेकर नाखुश हैं और सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं| इसी मांग के अंतर्गत अब लाखों किसान दिल्ली कूच कर चुके हैं जिनके साथ सारा देश खड़ा है| बॉलीवुड भी शुरुआत से लेकर अब तक किसानों का किसी न किसी तरकी से समर्थन करता आया है तथा उनकी आवाज़ उठाता आया है| सोशल मीडिया पर भी सितारे जैम कर किसानों का साथ दे रहे हैं तो ऐसे में आइए एक नज़र डालें उन बॉलीवुड फिल्मों पर भी जिन्होंने की किसानों के अधिकारों की बात|

  • 9. किसान (2009)

    9. किसान (2009)

    पुनीत सिरा द्वारा निर्देशित किसान एक एक्शन थ्रिलर फिल्म थी, जो भारत में किसानों की आत्महत्याओं पर केंद्रित है। फिल्म में सोहेल खान, अरबाज खान, दिया मिर्ज़ा और जैकी श्रॉफ मुख्य भूमिकाओं में दिखे थे।

  • 8. मंथन (1976)

    8. मंथन (1976)

    श्याम बेनेगल की ये फिल्म वर्गीज कुरियन के दूध सहकारी आंदोलन से प्रेरित है और भारत की श्वेत क्रांति पर केन्द्रित थी। फिल्म का गाना 'मेरो गम कथा पारे' एक गीत जो 90 के दशक में व्यापक रूप से प्रसिद्ध था, वह भी अमूल के दूध के विज्ञापन का एक हिस्सा था।

  • 7. उपकार (1967)

    7. उपकार (1967)

    1967 में रिलीज़ हुई मनोज कुमार स्टारर उपकार 1967 की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक थी| इस फ़िल्म के सबसे प्रसिद्ध गीतों में से एक 'मेरे देश की धरती' भारतीय किसानों की कठिनाई को दर्शाता है|

  • 6. मदर इंडिया (1957)

    6. मदर इंडिया (1957)

    महबूब खान की फिल्म मदर इंडिया सबसे यादगार बॉलीवुड फिल्मों में से एक है जिसमें नरगिस, सुनील दत्त, राजेंद्र कुमार और राज कुमार नज़र आए थे। फिल्म राधा (नरगिस) नाम की एक गरीबी से ग्रस्त गांव की महिला की कहानी है, जो अपने पति की अनुपस्थिति में, अपने बेटों को पालने के लिए संघर्ष करती है।

  • 5. दो बीघा ज़मीन (1953)

    5. दो बीघा ज़मीन (1953)

    बिमल रॉय द्वारा निर्देशित दो बीघा ज़मीन रवींद्रनाथ टैगोर की बंगाली कविता 'दुई बीघा जोमी' पर आधारित थी। फिल्म में बलराज साहनी और निरूपा रॉय मुख्य भूमिकाओं में दिखे थे और इसकी कहानी जमींदारी प्रणाली पर केंद्रित है| फिल्म शंभू के जीवन के चारों ओर घूमती है, जो एक गरीब किसान है और अपने कर्जे नहीं चुका पाता है जिस कारण एक जमींदार उसकी ज़मीन जब्त करने की धमकी देता है। शंभू तब पैसे कमाने के लिए कोलकाता में एक रिक्शा चालक के रूप में काम करने लगता है।

  • 4. नाया दौर (1957)

    4. नाया दौर (1957)

    दिलीप कुमार, वैजयंतीमाला, अजीत और जीवन स्टारर 'नया दौर' एक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म थी। इस कहानी गाँव के तागा चलाने वाले और एक बस चलाने वाले जमींदार के बीच रेस होती है| इसी फिल्म से आमिर खान की फिल्म लगान भी प्रेरित है।

  • 3. कड़वी हवा (2017)

    3. कड़वी हवा (2017)

    नीला मद्हब पंडा की ये फिल्म किसान के जीवन के कड़वे सच को दिखाती है। फिल्म सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र और राजस्थान के धौलपुर, और ओडिशा और चंबल क्षेत्र के लुप्त हो रहे गांवों की सच्ची कहानियों पर आधारित है। जलवायु परिवर्तन के विषय पर आधारित ये फिल्म शानदार ढंग से सूखे के दौरान किसानों की स्थितियों को सामने रखती है।

  • 2. पीपली लाइव (2010)

    2. पीपली लाइव (2010)

    अनुषा रिज़वी की कॉमेडी-ड्रामा फिल्म पीपली लाइव किसान आत्महत्याओं के विषय और उसके बाद के मीडिया और राजनीतिक गतिविधियों के इर्द-गिर्द घूमती। फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, रघुबीर यादव, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, व शालिनी वत्स नज़र आए थे। पीपली लाइव ने किसानों के अधिकारों और उनसे जुड़े ज़रुरी मुद्दों पर कई सवाल उठाए थे।

  • 1. लगान (2001)

    1. लगान (2001)

    आशुतोष गोवारिकर की लगान, भारत के औपनिवेशिक ब्रिटिश राज के अंतिम विक्टोरियन काल के दौरान, साल 1890 के दशक में स्थापित थी। फिल्म की कहानी मध्य भारत के एक छोटे से गाँव के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां एक नौजवान, ऊँचे लगान के बोझ और कई वर्षों के सूखे से खुद को बचाने के लिए एक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी को क्रिकेट के खेल के लिए चुनौती देता हैं|

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