कितना अधूरा लगता है, जब बादल हो बारिश न हो; जब ज़िंदगी हो और प्यार न हो; आँखें हों पर ख्वाब न हों; जब खड़ा हो और जुगाड़ न हो। |
न ताक़त आप में है न आपकी हड्डी में है; वाह - वाह! न ताक़त आप में है न आपकी हड्डी में है; ताक़त तो उसमे है जो बिना हड्डी के आपकी चड्डी में है। |
इस अनजान शहर में पत्थर कहाँ से आ कर लगा मुझे,ऐ दोस्त . . . . . . . लगता है गैरों की इस भीड़ में, कोई अपना ही माँ चुदा रहा है। |
आसमान पे काली घटा छाई है; आज फिर घरवाली ने दो बात सुनाई है; दिल करता है सुधर जाऊँ, मगर; बाजूवाली आज फिर भीग कर आई है। |
दिल तोड़ने की सज़ा नहीं मिलती; दिल टूटने की वजह नहीं मिलती; लड़कियां तो बहुत फंस जाती हैं मेरे दोस्त; बस उन्हें ठोकने की जगह नहीं मिलती! |
गम में भी हमको जीना आता है; सेक्स करके भी पसीना आता है; एक हम हैं कि तुम्हें अक्सर मैसेज करते हैं; एक तुम्हारा मैसेज है, जैसे औरतों को महीना आता है! |
तेरी आँखों में आँसू और चेहरे पे हँसी है; वाह! वाह! तेरी आँखों में आँसू और चेहरे पे हँसी है; ऐसा लगता है जैसे तेरी लुल्ली ज़िप में फंसी है! |
अर्ज़ किया है: उसने होंठों से छू कर लौड़े पे नशा कर दिया; लंड की बात तो और थी यारो उसने तो झांटों को भी खड़ा कर दिया। |
मिली बहुत सजा उनसे दिल लगाने की; नज़र लग गयी हमारे प्यार को ज़माने की; क़ब्र से निकले हुए दोनों हाथ कहते हैं, "बस आरज़ू रह गयी उसकी चूचियाँ दबाने की।" |
लंड के भरोसे जिया नहीं करते; चूत के प्यालों को पिया नहीं करते; कुछ दोस्त भोसड़ी के ऐसे भी होते हैं; जिनके गांड में उँगली न करो तो वो याद किया भी नहीं करते! |