यूँ हम को सताने की ज़रूरत क्या थी;
गांड मेरी जलाने की ज़रूरत क्या थी;
जो नहीं था इश्क़ तो कह दिया होता; बेवजह हमें चुतिया बनाने की ज़रुरत क्या थी; मालूम था अगर यह ख्वाब टूट जायेगा; नींद में आकर चुदने की ज़रुरत क्या थी; मान लूँ अगर कि एक तरफ़ा मोहब्बत थी; तो साली मुझे देख कर मुस्कुराने की ज़रुरत क्या थी! |
गांड के साथ अक्सर यह घटना घट जाती है; वाह! वाह! . .. ... .... ..... गांड के साथ अक्सर यह घटना घट जाती है; मुसीबत कोसों दूर होती है बहनचोद गांड पहले फट जाती है। |
तूफानों में छत्तरी नहीं खोली जाती; ब्रा से पहले पैंटी नहीं खोली जाती; विआग्रा (वियाग्रा) खाना शुरू कर मेरे दोस्त; क्योंकि ज़ुबान और उंगली से औरत नहीं चोदी जाती। |
श्रीमती ग़ालिब: तुम्हें पाकर लगा दुआ हमारी कबूल हो गई; तुम्हें पाकर लगा दुआ हमारी कबूल हो गई; जब से देखा है आपका मुर्दा लंड; लगता है ये बड़ी भूल हो गई। |
प्यार किस्मत है कोई ख्वाब नहीं; ये वो खेल है जिसमें सब कामयाब नहीं; जिन्हें इश्क की पनाह मिली वो कुछ ही लोग हैं; और; जिनके लौड़े लग गए उनका तो हिसाब नहीं। |
निप्पल से टपक रहा पसीना; निप्पल से टपक रहा पसीना; भीगी हुई गांड और लथपथ सीना; अब तुम्हीं बताओ 'ग़ालिब'; इतनी गर्मी में कोई कैसे ठोके हसीना? |
अर्ज़ किया है: गांड मरवाने से किसी की मौत नहीं होती ग़ालिब; वाह वाह; गांड मरवाने से किसी की मौत नहीं होती ग़ालिब; सिर्फ चलने का अंदाज़ बदल जाता है। |
मिर्ज़ा ग़ालिब ने माशूका को देखा और बोला, 'सलवार के नीचे से पानी लाल आता है क्या मेरी माशूका का भोसड़ा पान खाता है।' |
नहीं रही वो मोहब्बत की हक़ीकत; आज के इस दौर में; जिस्म की प्यास बुझाने को; लोग 'इश्क' का नाम देते हैं। |
अगर हो मर्जी से सेक्स तो पाप नहीं होता; अगर हो कुंवारी से सेक्स तो उसका जवाब नहीं होता; पर दोस्त कभी बिना कंडोम के मत चोदना; क्योंकि खड़े लंड का दिमाग नहीं होता। |