हास्य शायरी Hindi Adult and Non veg Restricted

  • लंड पे ऐतबार किसको है;
    मिल जाए चोदने को तो इंकार किसको है;
    कुछ मुश्किलें हैं चूत पाने में दोस्त;
    वरना मुट्ठ मारने से प्यार किसको है!
  • धोती ने कहा पज़ामे से;
    हम दोनों बने हैं धागे से;
    फर्क तो सिर्फ इतना है कि;
    मैं खुलता हूँ पीछे से और;
    तुम खुलते हो आगे से।
  • ब्रा खोलो तो शकालका बूम बूम;
    पैंटी खोलो तो खुलजा सिम सिम;
    अंदर डालो तो क्या मस्ती क्या धूम धूम;
    बाहर निकालो तो ठंडा-ठंडा झिम झिम!
  • जहान की खिलावट में जुलूल नहीं आएगा;
    गम-ए-तोहीन से कुबूल नहीं आएगा;
    मक्लूल की इबरात है, यह कुर्फा ग़ालिब;
    तुम्हारी फट जाएगी पर यह शेर समझ नहीं आएगा!
  • जैसे फूली हुई रोटी कच्ची नहीं होती;
    वैसे ही ब्रा पहनी हुई लड़की कभी बच्ची नहीं होती;
    और
    जैसे मगर मच्छ के आंसू कभी सच्चे नहीं होते;
    वैसे मुंह में लंड देने से बच्चे नहीं होते!
  • देख तेरे लंड की हालत क्या हो गई है इंसान;
    उसमें बची नहीं है अब कोई जान;
    बूब्स दिखाये, चूत दिखाई और दिखाई गांड;
    फिर भी उठा नहीं शैतान;
    कितना लटक गया हैवान!
  • वो अपनी बदकिस्मती का किस्सा किस-किस को सुनाता, ग़ालिब;
    गांड का ऑपरेशन था और बहनचोद डॉक्टर भी शौक़ीन निकला।
  • रात होगी तो कंडोम भी दुहाई देगा;
    टांगो के बीच सारा जहां दिखाई देगा;
    ये काम है जानी, जरा संभलकर करना;
    एक कतरा भी गिरा तो 9 महीने बाद सुनाई देगा।
  • चली गई दिवाली, शुरू हुई ठंड;
    सिकुड़ गयी गोटी, अकड़ गये लंड;
    आयेगी होली, चली जायेगी ठंड;
    फूल जायेगी गोटी, लटक जायेंगे लंड;
    आपको शुभ ठंड, पकड़े रहो लंड।
  • हमारी एक मुस्कुराहट पर वो हमसे सेक्स कर बैठे;
    वाह-वाह।
    हमारी एक मुस्कुराहट पर वो हमसे सेक्स कर बैठे;
    वो पैंटी पहनने ही वाली थी कि हम फिर से मुस्कुरा बैठे।