जहाँ निरंकार है, वहाँ अहंकार नहीं, और जहाँ अहंकार है वहाँ निरंकार नहीं होता, अपने आप को मिटने जैसी कोई जीत नहीं, और अपने आप को सब कुछ समझने जैसी हार नहीं। |
पता नहीं क्या जादू है गुरु के चरणों में, जितना झुकता हूँ उतना ही ऊपर जाता हूँ। |
कर दिया है बेफिक्र तूने फ़िक्र अब मैं कैसे करूँ; फ़िक्र तो यह है कि तेरा शुक्र कैसे करूँ! |
ढूंढा सारे संसार में पाया पता तेरा नहीं; जब पता तेरा लगा, अब पता मेरा नहीं। |
इश्क़ और इबादत में इतना ही अंतर है कि एक की याद तकलीफ देती है और दूसरे की याद तकलीफ में ही आती है। |
जैसे दूध में चावल मिलाने से खीर बनती है, वैसे ही सतगुरु के चरणों में झुकने से तक़दीर बनती है। |
खुशियाँ मिलती नहीं मांगने से; मंजिल मिलती नहीं राह पे रूकने से; हमेशा भरोसा रखना उस ऊपर-वाले पर; वो हर नयामत देता है, सही वक़्त आने पर। |
कल रात मेरी आँख से आँसू निकल पडा। मैंने पूछा, "तू बाहर क्यों आया?" उसने कहा, "तेरी आँखों में सतगुरु इस कदर समाये हैं कि मैं अपनी जगह ना बना पाया।" |
प्रार्थना और ध्यान इंसान के लिए बहुत ज़रूरी हैं; प्रार्थना में भगवान आपकी बात सुनते हैं, और ध्यान में आप भगवान की बात सुनते हैं। |
जहाँ बस्ता है खुशियों का संसार; जहाँ मिलता है सबको एक जैसा प्यार; जहाँ होती है मुक्ति के द्वार की शुरुआत; वो कुछ और नहीं, वो है हमारे प्यारे सतगुरु का दरबार। |