तुझे पाने की आरज़ू में तुझे गंवाता रहा हूँ; रुस्वा तेरे प्यार में होता रहा हूँ; मुझसे ना पूछ तू मेरे दिल का हाल; तेरी जुदाई में रोज़ रोता रहा हूँ। |
वो मिल जाते हैं कहानी बनकर; दिल में बस जाते हैं निशानी बनकर; जिन्हें हम रखते हैं आँखों में; जाने वो क्यों निकल जाते हैं पानी बनकर। |
कौन कहता है कि हमारी जुदाई होगी; ये अफवाह किसी दुश्मन ने फैलाई होंगी; शान से रहेंगे आपके दिल में; इतने दिनों में कुछ तो जगह बनाई होगी। |
प्यार करने वालों की किस्मत बुरी होती है; मुलाक़ात जुदाई से जुड़ी होती है; वक़्त मिले तो प्यार की किताब पढ़ना; हर प्यार करने वालों की कहानी अधूरी होती है। |
जुबान खामोश आँखों में नमी होगी; ये बस दास्ताँ-ए-ज़िंदगी होगी; भरने को तो हर ज़ख्म भर जाएंगेः; कैसे भरेगी वो जगह जहाँ तेरी कमी होगी। |
कर दिया कुर्बान खुद को हमने वफ़ा के नाम पर; छोड़ गए वो हमको अकेला, मज़बूरियों के नाम पर। |
तन्हाई जब मुक़द्दर में लिखी है; तो क्या शिकायत अपनों और बेगानों से; हम मिट गए जिनकी चाहत में; वो बाज ना आए हमे आज़माने से। |
हम अपना दर्द किसी को कहते नही; वो सोचते हैं कि हम तन्हाई सहते नहीं; आँखों से आँसू निकले भी तो कैसे; क्योंकि सूखे हुए दरिया कभी बहते नहीं। |
ये प्यार की बातें किताबों में ही अच्छी लगती हैं; तन्हाई भरी महफ़िल दर्दे दिल से ही सजती है; तुम तो कर गए एक पल में पराया; तेरी यादें ही हैं जो हमें अपनी लगती हैं। |
वो देता है दर्द बस हमी को; क्या समझेगा वो इन आँखों की नमी को; लाखों दीवाने हों जिस के; वो क्या महसूस करेगा एक हमारी कमी को। |